एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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बच्चों को मंहगे त्यौहार नहीं,उन्हें संस्कार दीजिये,
उनको अपने अच्छे गुणों,का उपहार दीजिये।
आधुनिक खिलौने तो ठीक है,पर साथ उनके लिए-
कैसे करें बड़ों से बात वह,उचित व्यवहार दीजिये॥
बच्चों को अभिमान नहीं,स्वाभिमान सिखाइये,
आलस्य नहीं गुण उनको,श्रमदान का बताइये।
बच्चों को चमक ही चमक नहीं,चाहिये उनको रोशनी-
दिखावा नहीं आदर आशीर्वाद,का गुणगान दिखाइये॥
बच्चों को भी सिखाइये कैसे,बनना है आत्मनिर्भर,
प्रारम्भ से ही बताइये कैसे,बढ़ना है जीवन सफर।
अच्छी आदतें पड़ती हैं अभी,कच्ची मिट्टी में ही-
जरूर सुनाइये कथायें साहस की,दूर करने को उनका डर॥
नींव ही समय है जब बात हो,बुलंद इमारत की,
कैसी होगी आगे की जिन्दगी,उस इबारत की।
आगे बढ़ने के गुण डालिये शुरू,से ही भीतर उनके-
वह शुरू से ही पढ़ाई पढ़ें मेहनत,और शराफत की॥