डॉ. कुमारी कुन्दन
पटना(बिहार)
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मित्रता और जीवन….
मित्रता की जब बात लिखूँ,
तो कैसे भूलूँ विदित कहानी
कृष्ण-सुदामा की बात ना हो,
तो रह जाएगी अधूरी कहानी।
मित्र बिना तो जीवन सूना,
कौन सुनेगा दिल की कहानी
समझो जैसे उजड़ा जीवन,
बिखरी-बिखरी हो जिन्दगानी।
मित्र का रिश्ता बड़ा अनमोल,
यह ईश का सुन्दर उपहार है
सच्चा मित्र वही हो सकता,
जिसमें मानव रूपी संस्कार है।
मित्र का प्यार विश्वास मिले तो,
जीवन की राह आसान बने
दु:ख-सुख का सच्चा साथी हो,
मित्र हमराही और हमराज बने।
मित्र का रिश्ता, ऐसा रिश्ता,
जो बिना बांधे बंध जाता है
वक्त के साथ कभी निखरता,
कभी उलझन भी बन जाता है।
सच्चा मित्र जिसे मिल जाए,
उसके जैसा कोई धनवान नहीं।
समझो धन्य है उसका जीवन,
उसे मिल गया भगवान यहीं॥