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सपनों को बुन लो

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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सपनों को तुम बुन लो,
अरे आकाश को तुम छू लो…
तुम युवा हो देश के, देश भी युवा है,
फिर तुम क्यों पीछे रहो ?

आत्मनिर्भरता, स्वाभिमान, विश्वास को साथ लेकर
अरे तुम भी तो उड़ लो,
परिंदों की परवाज इतनी नहीं
पर तुम तो देश के नवयुवक हो,
अरे देश के लिए कुछ तो कर लो।

रोजगार, व्यापार, नौकरी,
खूब है अवसर हमारे देश में
तुम उम्मीदों की,
एक उड़ान भर लो…।

अरे अपने देश में रहकर,
देश का सम्मान तो कर लो
सपनों को सार्थक करना है हमारा काम…,
फिर क्यों रहें हम युवा निष्काम ?
सफलता जरूर मिलेगी हमको,
बस विश्वास कर लो…।
सपनों को तुम बुन लो…,
अरे आकाश को तुम छू लो॥