कुल पृष्ठ दर्शन : 355

क्या तेरा क्या मेरा है

राजेश पड़िहार
प्रतापगढ़(राजस्थान)
***********************************************************

जो पाप किये सर मेरे धरता,धर्म कर्म सब तेरा है।
ये जीवन है दो दिन का,क्या तेरा क्या मेरा है।

मैंने जब ये जीवन पाया,जोड़ जगत ने काट दिया,
बाल रूप में ईश मानकर,हाथों विष क्यों छांट दिया।
पल-पल जग में ढली शाम तो,होता गया सवेरा है,
ये जीवन है…ll

केवल रूदन हँसी थी मन में,कोई न अपना पराया था,
मस्त मगन था हरफनमौला,मैं जब जग में जाया था।
जग ने मुझको कहा मात यह,और तात यह तेरा है,
ये जीवन है…ll

छली छद्म दुनिया की शाला,पाठ पढ़ाती मतलब का,
जो सीखा वह काम आ रहा,दोष कहो है कहां रब का।
आज शिशु के मानस पर,काले बादल का डेरा है,
ये जीवन है…ll

रिश्तों के भंवर जाल में,आकर सर पर विपदा बोली,
एक कहे है सुत मेरा तू,कहती एक मुझे हमजोली।
कहता मैं क्या सर पर छाया,देख अजब यह डेरा है,
जो पाप किये सर मेरे धरता,धर्म-कर्म सब तेरा है।
ये जीवन है…ll

परिचय-राजेश कुमार पड़िहार की जन्म तारीख १२ मार्च १९८४ और जन्म स्थान-कुलथाना है। इनका बसेरा कुलथाना(जिला प्रतापगढ़), राजस्थान में है। कुलथाना वासी श्री पड़िहार ने स्नातक (कला वर्ग) की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में स्वयं का व्यवसाय (केश कर्तनालय)है। लेखन विधा-छंद और ग़ज़ल है। एक काव्य संग्रह में रचना प्रकाशित हुई है। उपलब्धि के तौर पर स्वच्छ भारत अभियान में उल्लेखनीय योगदान हेतु जिला स्तर पर जिलाधीश द्वारा तीन बार पुरस्कृत किए जा चुके हैं। आपको शब्द साधना काव्य अलंकरण मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी के प्रति प्रेम है।

Leave a Reply