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समय की विमल इंदुता

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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समय होता है विमल इंदु, समय से झरती हैं किरणें,
समय होता बड़ा बलवान, समय बहुत कीमती भी होता है
जो खोता है समय वह रोता है, सिर धुनता है, पछताता है,
पर समय निकलने आदमी कुछ भी नहीं पाता है।

समय कोमल होता है कठोर भी दयामय भी और निष्ठुर भी,
वही आदमी सफल होता है, जो समय का मोल जानता है
समय का मान करता है समय पर काम करता है,
समय के आगे सिर झुकाता है, और यात्रा करता है निरंतर,
कर्म की लगन के साथ आत्मविश्वास को समेटकर।

जो समय की समय पर यात्रा करता है मंज़िल पाता है,
दोस्तों! समय तो रेत की तरह हाथों से फिसलता रहता है
कौन इसे समेट पाया है समय को कभी निज मुट्ठी में।

समझो समय की विमल इंदुता को, मानो सदा ही,
जानो समय की विमल इंदुता को सतत निष्ठा के साथ
जो समय की विमल इंदुता को अपनाता है, सफल है।
जो समय के विमल इंदु भाव को लेता है, धन्य है॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।