डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’
जोधपुर (राजस्थान)
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मानव की ज़िंदगी का सबसे बड़ा आइना समाज है। मानव एक कुशल नागरिक और चिंतनशील प्रवृत्ति की अमिट छाप है, एक मिसाल है। मानव जीवन के लिए प्रथम इकाई परिवार है। यह विश्व कुटुंबकम् में दर्शाया गया है, इंगित है।
इस समाज का निर्माण मनुष्यों के सुंदर सर्जन और सोच-विचार पर आधारित है। मनुष्य की प्रवृति है कि वो स्वयं की रक्षा के साथ, अपनों और परिवार के सदस्यों का ख्याल रखें। उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ समाज के उत्थान के अवसर जुटाए। सुंदर समाज का निर्माण जागरूक नागरिकों की सकारात्मक सोच और मेहनत का परिणाम होता है, इसलिए मनुष्य का कर्तव्य है कि वो समाज हित के प्रति कर्तव्यों का पालन करे,
और समाज के हित की तरफ कार्य करते हुए समाज और जुड़े लोगों को उन्नति की ओर अग्रसर करे। इसके लिए समाज में समाजोपयोगी कार्य शिविर
समय-समय पर लगाना चाहिए।
मरीजों को चिकित्सा शिविर सहित
विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाना आवश्यक है। बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ, दहेज प्रथा, गरीबी, बेरोजगारी तथा अशिक्षा के प्रति शिविर लगाकर मदद करनी चाहिए। इसके लिए नागरिकों को जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। पार्षद द्वारा सहयोग लेकर मोहल्ला, पड़ोसी व आस-पास के वातावरण का उचित सदुपयोग तथा सहयोग करना भी अनिवार्य है। इसी तरह सुंदर समाज के लिए जल संरक्षण किया जाए। व्यर्थ में जल का दुरूपयोग न किया जाए
और पर्यावरण सुरक्षा के लिए पेड़- पौधे रौपे जाएँ, प्रकृति का श्रृंगार किया जाए। भ्रष्टाचार के खिलाफ
आवाज उठाई जाए, हिंसा को खत्म किया जाए, ऐसे अभियान चलाए जाएँ। ऐसे ही बुजुर्गों का सम्मान किया जाए, बाल विवाह रोके जाएँ तथा सामूहिक विवाह सम्मेलन किए जाएँ। हौसला अफजाई हेतु होनहार विद्याथिर्यों के लिए सम्मान समारोह आदि का आयोजन करना भी अत्यन्त आवश्यक है।