संजय जैन
मुम्बई(महाराष्ट्र)
****************************************
दिल से दिल मिलाकर देखो,
जिंदगी की हकीकत जानकर देखो
अपना-तुपना करना भूल जाओगे,
अंत में एक ही पेड़ के नीचे आओगे
तब अपने आपको पहचान पाओगे
क्योंकि छोड़कर नश्वर शरीर,
एक दिन सबको जाना है
जो भी कमाया धमाया,
सब यहीं छोड़ जाना है
फिर भी दौड़ता रहता है,
तू यहाँ से वहाँ संसार में
जिस माया के चक्कर में,
वो तेरे साथ नहीं जाएगी।
न खाता है न पीता है,
और न चैन से जीता है
खुद तो परेशान रहता है,
और घर वालों को भी…
इसलिए ‘संजय’ कहता है,
कि कर ले कुछ अच्छे कर्म
जिन्हें तेरे साथ अंत में जाना है।
घुटन की जिंदगी जीने से तो,
अच्छा है खा के जीओ
एकसाथ हिल-मिलकर,
अपने परिवार में रहो
जो भाग्य में लिखा है तेरे,
तुझे मेहनत से मिल जाएगा।
पर ज्यादा के लालच में पड़कर,
खुशी वाला तेरा समय निकल जाएगा॥
परिचय– संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।