अमल श्रीवास्तव
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)
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छत्तीसगढ़ सरकार ने एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लिए अलग-अलग संचालनालय की स्थापना करने का प्रस्ताव पारित किया है और प्रत्येक के लिए सलाहकार परिषद बनाई जा रही है, जो इन वर्ग विशेष के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाएगी।
अब प्रश्न यह उठता है कि, क्या इस देश के संसाधनों, योजनाओं में सवर्ण समाज का कोई हक नहीं है ? क्या सारी मलाई सिर्फ वर्ग विशेष के लिए ही है ? पिछले ७२ साल से जातिगत आरक्षण और एससी-एसटी
अधिनियम के चलते सवर्ण समाज दोयम दर्जे का नागरिक बना हुआ है। ९० फीसदी अंक लाने के बावजूद ४० वाले के अधीन काम करने को मजबूर है। फिर भी क्या संतोष नहीं हो रहा, जो सभी सरकारें सिर्फ वर्ग विशेष के हित की ही योजनाएं बना रही हैं ?
पहले डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री रहते एक बात कही थी कि, इस देश के संसाधनों में पहले मुसलमानों का हक है। इसी तरह से अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री रहते हुए कहा था कि सिर्फ मुस्लिम बेटियाँ ही हमारी बेटियाँ हैं, तो शिवराज सिंह चौहान ने भी ऐसा बयान दिया था कि, कोई माई का लाल आरक्षण समाप्त नहीं कर सकता। मोदी सरकार ने तो एससी-एसटी अधिननियम में उच्चतम न्यायाल के फैसले को ही पलट दिया। आखिर ये सब क्या है ? क्या किसी को देश की चिंता है ? Pगाँव, गरीब, किसान की बात न करके सिर्फ जातिवाद को बढ़ावा देना क्या सभ्य समाज का लक्षण है ? क्या इस तरह भारत कभी विश्व गुरु बन सकता है ?, जबकि वास्तव में आजादी की लड़ाई में और अब तक देश की समृद्धि में सबसे ज्यादा योगदान सवर्ण समाज का ही रहा है, लेकिन आजाद भारत में सबसे ज्यादा शोषण सवर्ण समाज का ही हो रहा है।
कितने दुर्भाग्य की बात है कि विधायक, सांसद, मंत्री, अधिकारी बनने के बावजूद वे अभी भी दलित बनकर पूरा लाभ ले रहे हैं, परंतु पान का ठेला लगाने वाला सवर्ण समाज का व्यक्ति योग्यता के बावजूद सारी सुविधाओं से वंचित है! दुर्भाग्य की सीमा तब और भी बढ़ जाती है, जब सवर्ण समाज का एक भी प्रतिनिधि अपने समाज के हित के बारे मे एक भी शब्द नहीं बोलता है।
इस तरह की ‘मत बैंक’ की कुटिल नीति से एक बात तो पक्की है कि, कोई भी राजनीतिक दल देश हित के लिए नहीं, बल्कि सिर्फ अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए ही राजनीति करता है। ऐसे में देश के भविष्य का क्या होगा, इसे भगवान ही जाने।
परिचय–प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।