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हकीकत की संवेदनशीलता

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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आँकड़ों से उलझने से,
जरूरी सत्य की तलाश है
मुश्किल वक्त पर कन्धे से कन्धा,
मिलाकर चलना ही
सच्चा और उत्कृष्ट प्रयास है।

हकीकत आज़ जानने की,
पहली आवश्यकता है
सच्चाई और ईमानदारी से,
रास्ते निकालने की खूब,
सदैव दिखती महत्ता है।

भीड़-भाड़, महंगाई, बीमारी, महामारी,
शिक्षा और संस्कार
पर आज़ खूब तकरार है
मजबूत इरादों से सना,
व्यवहारिक प्रयास ही सर्वोत्तम उपचार है।

आँकड़ों के चक्रव्यूह में फंसे हुए,
रहना नहीं उत्तम व्यवहार है
जनमानस की जरूरत और आवश्यकता पर,
बिना भेदभाव का संस्कार ही
संवेदनशीलता का आहार है।

आमदनी में गिरावट और आर्थिक असमानता,
एक विकट प्रहार है
संवेदनशीलता को यहां,
पूरी इज्जत और सम्मान,
देने की ख़ास दरकार है।

बदलते वक्त में प्रगतिशील सोच की,
अत्यधिक जरूरत है
समाज में बराबरी की सोच रखने की,
आज़ बढ़ रही अहमियत है।

आओ हम-सब मिलकर यहां आँकड़ों के बजाय,
एक उन्नत सोच की ओर क़दम बढ़ाएं
प्रगति और विकास यात्रा में,
जनमानस को हकीकत की
संवेदनशीलता की महत्ता से अवगत कराएं।
उम्मीद की बात करते हुए,
दिल से इसे स्वीकारने में लग जाएं॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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