डॉ. कुमारी कुन्दन
पटना(बिहार)
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पवन वेग से उड़ के जाना,
साजन को संदेश पहुँचाना
पपीहा तुझे मेरी उमर लगे,
पपीहा तुझे मेरी उमर लगे।
पूछ जरा तो, उनसे जाए,
क्या मेरी उन्हें, याद न आए
दूर पड़े क्यों, हमें बिसराए,
वश मे रहें ना, मन अकुलाए
कब से हो गए हैं, हम पराए,
कुछ तो अपना भेद बताए।
जा जल्दी, तू पूछ के आना,
साजन का संदेश तू लाना
पपीहा तुझे मेरी उमर लगे,
पपीहा तुझे मेरी उमर लगे।
पीहु-पीहु की रट क्यों लगाए,
मेरी लगन को और बढ़ाए
क्या तुझे भी याद सताए,
तुझसे भी अब रहा ना जाए
तो फिर ढांढस कौन बंधाए,
पास आ हर लूँ तेरी बलाएँ।
दोनों का दर्द कोई ना जाना,
साजन को संदेश पहुंचाना।
पपीहा तुझे मेरी उमर लगे,
पपीहा तुझे मेरी उमर लगे…॥