◾देश के कई साहित्यकारों ने बताया गहरी क्षति…
नई दिल्ली।
प्रसिद्ध साहित्यकार और विभिन्न संस्थाओं में पदाधिकारी रहे कमल किशोर गोयनका का राजधानी में लंबी बीमारी के बाद निधन (८६ वर्ष) हो गया। उनके निधन को देश के कई साहित्यकारों ने गहरी क्षति बताया है। आपने विशेष रूप से मुंशी प्रेमचंद साहित्य के मर्मज्ञ लेखक के रूप में अपनी पहचान बनाई थी।
आपके निधन को साहित्य जगत में गहरी क्षति माना गया है, क्योंकि श्री गोयनका ने प्रेमचंद जी पर व्यापक शोध किया और हिंदी साहित्य में नए प्रयोग किए।साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने निधन पर दु:ख जताते हुए कहा कि गोयनका का निधन साहित्य के लिए ऐसी क्षति है, जिसके कारण एक शोधकर्ता साहित्यकार अब हमारे बीच नहीं रहा। उन्होंने प्रसिद्ध कथाकार प्रेमचंद पर व्यापक शोध किया था।
डीयू के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. मोहन ने बताया कि गोयनका सक्रिय लेखकों में गिने जाते थे। प्रेमचंद पर साधिकार लेखन किया। साथ ही प्रवासी साहित्य पर भी कार्य किया।
व्यंग्यकार प्रेम जन्मेजय ने कहा कि प्रेमचंद पर शोध के लिए उन्होंने विरोध भी झेला। प्रेमचंद को लेकर परंपरागत दृष्टिकोण को तोड़कर नए आयाम भी गढ़े। प्रेमचंद पर उन्होंने जो शोध किया वह किसी उपाधि के लिए नहीं था, बल्कि तथ्य सामने रखे और एक दूसरे पक्ष से लोगों को रूबरू कराया। वह साहित्यकारों के लिए प्ररेणा स्रोत रहेंगे।
साहित्य अकादमी के सचिव डॉ.के श्रीनिवास राव, कवि लक्ष्मीशंकर वाजपेयी एवं अन्य संस्थाओं के साथ ही हिन्दीभाषाडॉट कॉम परिवार की तरफ से संपादक अजय जैन ‘विकल्प’ ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की है।