बलिया (उप्र)।
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के साहित्य में मानवतावाद की परख के लिए यह नितांत आवश्यक हो जाता है कि पहले यह भली-भांति समझ लिया जाए कि मानवतावाद है क्या ? विचारकों ने मानवहितों, मानवीय मूल्यों और मानव को ही केंद्र में रखकर मानव कल्याण के लिए रचे गए साहित्यिक तथ्यों, कथ्यों के उद्गम, उदघाटन को मानवतावादी साहित्यिक सिद्धांत माना है। मानव यदि सृष्टि की सर्वश्रेष्ठ रचना है। तब इससे श्रेष्ठतर कुछ नहीं हो सकता कि साहित्य सृजन का केंद्रीय भूमि मानव और ‘मानव कल्याण’ ही हो।
युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच उप्र इकाई (लखनऊ) एवं सनबीम स्कूल (बलिया) के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय साहित्य समारोह-२०२४ (बलिया) में यह विचार ‘आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के साहित्य में मानवतावाद’ विषय पर डॉ. जयप्रकाश तिवारी ने व्यक्त किए। ४ सत्र में आयोजित इस राष्ट्रीय साहित्य समारोह में अनेक साहित्यकारों ने संबोधित किया।
