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सिद्धेश्वर की कहानियाँ समाज के मुखौटे को उतारने में पूर्णतः सफल-प्रो.शरद नारायण खरे

ऑनलाइन कथा पाठ……….

मंडला(मप्र)।

सिद्धे्वर जी की कहानी ‘बसेरा’ रिश्ते-नातों की ख़त्म होती मिठास,गिरते मूल्यों व ख़ुदगर्ज़ होते इंसानों की सच्चाई को परोसती एक ऐसी मार्मिक कथा है,जिसमें पुत्र स्वार्थी बनकर अपने पिता से मुख मोड़ता नज़र आता है। कहानी समाज के मुखौटे को उतारने में पूर्णतः सफल है।
प्रसिद्ध साहित्यकार एवं विशिष्ट अतिथि प्रो.शरद नारायण खरे (मध्य प्रदेश) ने यह बात कही। अवसर रहा भारतीय युवा संहित्यकार परिषद और राइजिंग बिहार के तत्वाधान में ऑनलाइन एकल कथा पाठ का। इस ऑनलाइन आयोजन में कथाकार सिद्ध्श्वर ने अपनी ३ कहानियों का पाठ किया,जिनकी विवेचना देश के प्रसिद्ध समीक्षकों ने की।
गोष्ठी की मुख्य संयोजिका राज प्रिया रानी ने एकल पाठ के स्वागत भाषण में कहा कि,सिद्धेश्वर की प्रस्तुति कहानियों में,जीवन और समाज की जीवंत तस्वीर देखी जा सकती है।
मुख्य अतिथि संपादक डॉ. कुँवर वीर सिंह ‘मार्तण्ड ‘(कोलकाता) ने कहा कि,सिद्धेश्वर की कहानी ‘हम होंगे कामयाब’ समाज के कुछ ऐसे तथाकथित दोगले चरित्रों को नंगा करती है,जो सस्ती प्रशंसा बटोरकर कामयाब होना चाहते हैं। यहां भी एकल कथा पाठ में अपनी ३ कहानी के माध्यम से उन्होंने दमदार प्रस्तुति दी है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. सविता मिश्रा मागधी ( बेंगलुरु )ने कहा कि,सिदेश्वर की कहानी ‘हम होंगे कामयाब’ को ऑनलाइन सुनकर हर व्यक्ति द्रवित हो उठा है,जिसमें नेता से लेकर मीडिया के खोखलेपन का सजीव चित्रण बड़ी बारीकी से उधेड़ कर रख दिया गया है।
अपूर्व कुमार (हाजीपुर ),वरिष्ठ कथाकार जयंत सहित ऋचा वर्मा, विजयानंद विजय ( मुजफ्फरपुर)एवं विश्वमोहन कुमार,दुर्गेश मोहन, संजय रॉय,आलोक चोपड़ा,अंजू भारती,रश्मि पाठक,गरिमा अस्थाना, ऋचा पाठक,भगवती प्रसाद द्विवेदी हरेंद्र सिन्हा,कंचन वर्मा,डॉ.नूतन सिंह एवं मीना कुमारी परिहार ने भी अपनी बात रखी।

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