पद्मा अग्रवाल
बैंगलोर (कर्नाटक)
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जन्म दिवस (१२ अक्टूबर) विशेष….
कुछ दिन पहले कहीं पढ़ा था कि अभिनेता अमिताभ बच्चन ने ट्वीट किया, “हर पल जीवन का, कुछ न कुछ सिखाता है, क्षमता कम ना हो सीखने की, समय यही सिखाता है।”
हम सभी अपने जीवन में हर पल सीखते रहते हैं, परंतु इस बात को समझने और स्वीकार करने की आवश्यकता है। ८३ वर्षीय अमिताभ बच्चन की सीखने की यही जिद उन्हें अमिताभ बच्चन बनाती है। आज भी अमिताभ जी हर नए जोखिम को उठाने के समय नहीं हिचकते, जिसके लिए कोई भी युवा हिम्मत जुटाने में वर्षों निकाल हाथ आए अवसर को गवाँ कर पछताते रह जाते हैं।
टेलीविजन पर ‘कौन बनेगा करोड़पति’ कार्यक्रम पेश करते हुए प्रतिभागियों के साथ आप जिस आत्मीयता से मिलते और बात करते हैं, तो ऐसा महसूस होता है जैसे कोई अभिभावक सामने बैठ कर बातें कर रहा है। सभी दर्शक भी उनके साथ सीधे जुड़ाव अनुभव करते हैं। आत्मीयता का यही भाव उन्हें पल्स पोलियो, स्वच्छता अभियान, गुजरात पर्यटन आदि सामाजिक जुड़ाव के कार्यक्रम में उनकी अनिवार्य भूमिका में परिलक्षित करता है।
विशेष बात यह है कि अमिताभ जी किसी भी भूमिका में जबर्दस्ती ठूँसे हुए या उन्नीस नहीं दिखाई देते, वरन हर नई भूमिका में वह पिछली से बीस ही दिखाई देते हैं।
सच्चाई तो यह है, कि अमिताभ जी को भी साधारण लोगों की तरह ही सफलता पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा और असफलता के दौर से भी गुजरना पड़ा था। काम की तलाश में भटकना पड़ा और अपमान एवं जलालत भी झेलनी पड़ी थी।
अमिताभ बच्चन की पहली फिल्म के.ए. अब्बास की ‘सात हिंदुस्तानी’ थी, जो निस्संदेह उनके पिता हरिवंश राय बच्चन की वजह से उन्हें मिली। उन्हें उस फिल्म में अपनी भूमिका के नवोदित कलाकार हेतु पुरस्कार भी मिला, परंतु पहचान मिली हृषिकेश मुकर्जी निर्देशित फिल्म ‘आनंद’ से। तयशुदा मौत का जीवंतता से मुकाबला करते राजेश खन्ना की इस फिल्म में अमिताभ बच्चन की छोटी-सी उपस्थिति यह एहसास दिलाने में सक्षम थी, कि भारत के फिल्म जगत को एक बेहतर अभिनेता मिल सकता है। फिर तो यह ‘अभिमान, नमक हराम, मिली, बेमिसाल, चुपके-चुपके, जुर्माना, काला पत्थर और लावारिस’ आदि अनेक फिल्मों में बिना किसी दोहराव के अपनी भूमिकाओं में ढलते चले गए।
यदि किसी को दशक का सर्वश्रेष्ठ खिताब मिल जाता है, तो वह स्वयं को धन्य समझता है, लेकिन अमिताभ जी के लिए तो ‘सदी का सर्वश्रेष्ठ महानायक’ जैसे खिताब सुरक्षित हैं।
वास्तव में अमिताभ बच्चन की महानता उनकी ८३ वर्ष की फिल्मों की भूमिकाओं से परे है। उनकी सक्रियता पर्दे से अलग उनकी सामाजिक-पारिवारिक पहचान भी बनाती है, जो शायद आने वाली पीढी एवं हम सभी को अपने जीवन में सक्रिय रहने के लिए प्रेरित करती रहेगी। अपने काम के प्रति समर्पण और अनुशासित जीवन-शैली के कारण वे सभी के प्रेरणास्त्रोत हैं।
आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।