डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’
सोलन (हिमाचल प्रदेश)
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जब भी हम कोई जमीन या जायदाद खरीदते हैं तो उसकी रजिस्ट्री से पहले अखबार में विज्ञापन देते हैं कि हम फलां-फलां जमीन खरीद रहे हैं। यदि किसी को इस सम्बन्ध में आपत्ति हो तो दावा प्रस्तुत करें। किसी की किसी की आपत्ति न आने पर हम इसकी रजिस्ट्री करा लेंगे। आज का जो माहौल चल रहा है, उसे देखते हुए हमें शादी के पहले अखबार या सोशल मीडिया पर यह विज्ञापन देना चाहिए कि राम की शादी रश्मि से तय हो गयी है। यदि किसी प्रेमी लड़के-लड़की को आपत्ति हो तो तुरंत संपर्क और विवाह सम्पन्न होने से पहले रोके, ताकि आपका प्यार आपको मिल सके और आपको भी अपने प्यार को पाने के लिए गलत साधन न अपनाना पड़े। अर्थात सुपारी न देनी पड़े। सुपारी खाना अच्छी बात है, परन्तु देना अपराध है।
यदि आप किसी से प्यार करते हैं, किसी को चाहते है तो उसे छुपाते क्यों हैं ? अपने अभिभावक को यह बात बताएं, इस प्यार को शादी का अंजाम दें और अपना जीवन सुखी बिताएं। शादी हम खुशहाल जीवन के लिए करते है। ‘जब प्यार किया तो डरना क्या’ समझकर अपने प्यार को छुपाएं नहीं, बल्कि सार्वजनिक करें, ताकि आप अपने प्यार को आजीवन पा लें।
किसी को हटाने की सुपारी देना समस्या का हल नहीं है। जिसकी आप सुपारी देते हैं, यदि वो खत्म हो गया तो उसकी ज़िंदगी तो गई, परन्तु अब आपकी सारी ज़िंदगी जेल की सलाखों के बीच बीतेगी।सच्चा प्यार कुर्बानी देता है, लेता नहीं। अतः ऐसा कोई गलत कदम न उठाएं कि आपके साथ आपके परिवार का नाम भी समाज में खराब हो।
हमारी चाही हुई हर चीज हमें नहीं मिलती है, यह सत्य है।bआप सही ढंग से प्रयास करें और किसी का अहित न करें। इतिहास गवाह है कि किसी का अहित करने वाले का आज तक हित नहीं हुआ है।भगवान की लाठी में आवाज नहीं होती। हमें अपने कर्मों का दंड यहीं भुगतना है, इसलिए जब भी प्यार करें घर और समाज से न छुपाएं, ताकि समाज में शांति बनी रहे और आप भी खुश रह सकें।
परिचय-डॉ. प्रताप मोहन का लेखन जगत में ‘भारतीय’ नाम है। १५ जून १९६२ को कटनी (म.प्र.)में अवतरित हुए डॉ. मोहन का वर्तमान में जिला सोलन स्थित चक्का रोड, बद्दी (हि.प्र.)में बसेरा है। आपका स्थाई पता स्थाई पता हिमाचल प्रदेश ही है। सिंधी,हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले डॉ. मोहन ने बीएससी सहित आर.एम.पी.,एन. डी.,बी.ई.एम.एस., एम.ए., एल.एल.बी.,सी. एच.आर.,सी.ए.एफ.ई. तथा एम.पी.ए. की शिक्षा भी प्राप्त की है। कार्य क्षेत्र में दवा व्यवसायी ‘भारतीय’ सामाजिक गतिविधि में सिंधी भाषा-आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का प्रचार करने सहित थैलेसीमिया बीमारी के प्रति समाज में जागृति फैलाते हैं। इनकी लेखन विधा-क्षणिका, व्यंग्य लेख एवं ग़ज़ल है। कई राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन जारी है। ‘उजाले की ओर’ व्यंग्य संग्रह प्रकाशित है। आपको राजस्थान से ‘काव्य कलपज्ञ’,उ.प्र. द्वारा ‘हिन्दी भूषण श्री’ की उपाधि एवं हि.प्र. से ‘सुमेधा श्री २०१९’ सम्मान दिया गया है। विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अध्यक्ष (सिंधुडी संस्था)होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-साहित्य का सृजन करना है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद एवं प्रेरणापुंज-प्रो. सत्यनारायण अग्रवाल हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी को राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिले,हमें ऐसा प्रयास करना चाहिए। नई पीढ़ी को हम हिंदी भाषा का ज्ञान दें, ताकि हिंदी भाषा का समुचित विकास हो सके।”