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सूरज चाचा इतने पावरफुल!

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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भोर की इस सुहानी लालिमा में उदित्य हो रहे थे सूरज। माँ, बच्चों को बिस्तर से उठा रही होती है। तभी दादा जी आते हैं, वह कहते हैं, “बहू बबलू व पिंकी अभी तक नहीं उठे। सुबह हो गई है, सूरज सिर पे आ गया है और तो उन्हें स्कूल भी जाना है फिर।”
“बाबू जी, उन्हें ही उठा रही हूँ।”
माँ बच्चों के सिर पर हाथ फेरती है, और कहती है “उठो लाल, दादा जी सुबह सैर कर के घर आ गए हैं। तुम्हें बुला रहे हैं।”
दादा जी का नाम सुनते ही दोनों बच्चों की नींद खुल गई और वह दादा जी के पास जाकर प्रणाम करते हैं। कहते हैं, “दादा जी, आप इतनी जल्दी क्यों उठ जाते हो ?” बच्चों मैं इसलिए जल्दी सुबह उठता हूँ कि सुबह की शुद्ध हवा और सूरज देवता की लालिमा से उत्पन्न उन किरणों को अपने शरीर पर ले सकूं। सूरज के सुबह के प्रकाश से तन-मन स्वस्थ और काया निरोगी रहे। सूरज की इन किरणों से सुबह-सुबह अमृत बरसता है बच्चों। यह हमारे लिए बहुउपयोगी है।”
बच्चे बोलते हैं, “दादा, यह तो हमें मालूम ही नहीं था कि सूरज चाचा इतने पावरफुल हैं, जो हमें शक्ति व निरोगी काया भी देते हैं।”
“अरे बच्चों, सूरज देवता को हम रोज सुबह नहा-धोकर एक लोटा जल चढ़ाएं, तो वह हमें ज्ञान व बुद्धि के साथ साथ शक्ति भी देते हैं। इसलिए हमें सुबह जल्दी उठना चाहिए और सूरज की इस लालिमा का आनंद लेना चाहिए।”