बबीता प्रजापति
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
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ये स्त्रियाँ,
घर को सजाती हैं
और खुद सँवरना भूल जाती हैं।
परिवार को भरपेट खिलाती हैं,
और खुद खाना भूल जाती हैं
कोई होता भी तो नहीं पूछने वाला,
क्या तुमने सुबह से खाया एक भी निवाला
सबके काम कर देती हैं,
और खुद के काम भूल जाती हैं।
दिनभर भागती हैं,
कभी पति के काम
कभी बच्चों को खाना खिलाने,
कभी सास की एक फटकार सुन के
घड़ी की सुइयों जैसे भागती हैं,
बिना रुके
बस ये भी भागती रहती हैं,
सबको दे के विश्राम
खुद आराम भूल जाती हैं।
फिर भी विडम्बना तो देखिए,
चाहे ननद हो या सास
पति हो या ससुर या फिर देवर,
सबकी नज़रों मे खटकती भी यही हैं
क्योंकि, ये जो दुनिया है ना।
इसके लिए,
जितना उपलब्ध रहोगे
उतना आपको कमतर आँकेगी॥