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ये तो नाइंसाफी है

हेमराज ठाकुर
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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बेतरतीब भभकती एक आग को देखा,
उसमें सुलगते नफरत के अंगारे देखे
हिन्दू-मुस्लिम की उसमें ज्वालाएं देखी,
फिर भी लोगों में आपसी भाईचारे देखे।

कुछ लोग लगे हैं बस सत्ता के लोभ में,
सियासी घी डालकर लपटें भड़काने में
विविधता में एकता का है मुल्क हमारा,
एक वर्ग लगा है सबको यह समझाने में।

कोई जाति-धर्म के तूफान है उड़ाता,
नफ़रत की लपटें और तेजी से भड़के
फिर भी खड़ा मजबूती से भारत कैसे ?
दुश्मनों की सोच में जैसे प्राण ही लटके।

कई लगे हैं समता की बरसात बरसाने,
वे चले हैं नफरतों की आग बुझाने को
एक कुनबा भीतर ही भीतर ऐसा भी है,
जो लगा है राष्ट्र हित के मुद्दे दबाने को।

सत्ता समर में गुनहगारों को है मिलती,
हमेशा हम सबने देखी यारों माफ़ी है।
बेगुनाहों को सियासी चाल में फंसाना,
आजाद भारत में ये तो नाइंसाफी है॥

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