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स्वर्ग होगा तो ऐसा ही होगा

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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केदारनाथ यात्रा…


गगन को चीरती उतंग धवल पर्वत, पर्वतों के सीने चीर बहती अलकनन्दा, मंदाकिनी। उछलती, लपकती, छलकती गंगा, यमुना, बड़ी नदियों से जल्दी मिलने को आतुर कितनी छोटी नदियाँ, झरने, हिम नदियाँ। एक-दूसरे से ऊँचे होने की होड़ करते चीड़, देवदार, हिमालयन वृक्ष और पादप…।
शब्दातीत, नैसर्गिक सुंदरता समेटे उत्तराखंड में पहुँच कर लगा- स्वर्ग होगा तो ऐसा ही होगा या यही स्वर्ग होगा।
हमारी केदारनाथ यात्रा की शुरुआत फाटा से २ घण्टे गौरी कुंड के लिए गाड़ी के वास्ते लाइन लगा कर हुई। गौरीकुंड पहुँच कर २ घण्टे घोड़ा-खच्चर की व्यवस्था करते गुजरे। फिर हम लीद, कीचड़, गंदगी, ऊपर से रिमझिम बरसात का आनंद लेते आगे २१ किलोमीटर की हलक में प्राण अटका देने वाली रोमांचकारी यात्रा पर निकल पड़े। लगभग ७ घण्टे में जाम रास्ता,भयानक जनसैलाब को पार करते रात्रि में केदारनाथ पहुँचे।
इस बीच राह में हवाओं से यारी की, बादलों को छुआ-सहलाया, बर्फ को दुलराया, फूलों की घाटियों सँग झूमे, तने गर्वीले पर्वत चोटियों में घूमे। घोड़े पर बैठने से उपजे दर्द को सहते पहुँच गए केदारनाथ धाम।
पूर्व परिचित मित्र और पंडित जी ने हमारे लिए कमरा आरक्षित रखा था, तो दिक्कत नहीं हुई। मंदिर का पट चूँकि बंद हो चुका था तब तक तो कुछ आराम व चाय-नाश्ता कर मंदिर प्रदक्षिणा और बाबा को हाज़िरी लगाने रात्रि ८ बजे मंदिर प्राँगण में पहुँचे।
शून्य डिग्री तापमान में चमकते चाँदी से बर्फ ढके दृष्टि पार पर्वत को तकते ही रहने का मोह छोड़ हम आकर सो गए। अलसुबह ३ बजे उठ कर खून जमा देने वाले ठंडे जल में हाथ-मुँह धो मंदिर में पंक्ति में अभिषेक पूजन किया।
पंडित जी से हैलिकॉप्टर टिकट का अनुरोध किया तो उन्होंने ५ टिकट की हमारे लिए कैसे भी करके जुगाड़ कर दी। अब हम १२ घण्टे की हाड़ तोड़ यात्रा को ५ मिनट में हैलिकॉप्टर से पूर्ण कर आराम कर फिर अगले गंतव्य की ओर बढ़ चले…।
(प्रतीक्षा कीजिए अगले भाग की…)

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।