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स्वास्थ्यवर्धक सर्वोत्तम औषधि ‘पानी’

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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अशुद्ध पानी हमारे लिए बीमारियों का सुगम स्त्रोत है, तो शुद्ध पानी सर्वोत्तम औषधि है। पानी प्राप्त करने के कई स्त्रोत हैं, पर वर्षा का जल सर्वोत्तम होता है।
आकाश से गिरा हुआ जल, समय के अनुसार गमन करने वाले चन्द्रमा, वायु, सूर्य से स्पर्श हो जाने के बाद समीप के पृथ्वी गुण के अनुसार शीत, उष्ण, स्निग्ध, रूक्ष आदि गुणों से युक्त होता है। आकाशीय जल पवित्र, सुखाकर आदि ६ गुणों से युक्त स्वभाव से दिव्य जल होता है। इस प्रकार पानी का महत्व अपने-आपमें बहुत है। हमारा शरीर-प्रकृति पंच महाभूतात्मक है, जो पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि व आकाश से बना है।
विज्ञान अनुसार मानव शरीर में पानी की मात्रा ६० फीसदी होती है। यह तो सभी जानते हैं कि, ज्यादा से ज्यादा पानी पीना हमारी सेहत के लिए फायदेमंद होता है। उदाहरण के तौर पर पानी शरीर के अंगों और ऊतकों की रक्षा करता है और कोशिकाओं तक पोषक तत्व और ऑक्सीजन पहुंचाता है। इसके अलावा यह वजन कम करने में भी बहुत ही लाभदायक है तथा शरीर को स्वस्थ रखता है।
शरीर में पानी की कमी से कब्ज, अस्थमा, एलर्जी, उच्च रक्तचाप, माइग्रेन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। ऐसे में आपको ध्यान देना चाहिए कि, २४ घंटे में कितना पानी पीना चाहिए। आप सामान्य पानी के अलावा रस, पेय और पानी वाले फलों का सेवन करके इस कमी को पूरा कर सकते हैं।
दरअसल, एक दिन में कितना पानी पीना चाहिए, इस सवाल को लेकर अलग-अलग राय है। स्वास्थ्य से जुड़े लोग आमतौर पर एक दिन में ८ गिलास पानी पीने की सलाह देते हैं, जो २ लीटर के बराबर है। इसे ८ गुणा ८ नियम कहा जाता है और याद रखना बहुत आसान है।
दूसरी तरफ कुछ लोग मानते हैं कि, हम हमेशा निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) की कगार पर रहते हैं, इसलिए पूरे दिन पानी का घूंट लेते रहना चाहिए। वैसे चिकित्सा संस्थान ने यह निर्धारित किया है कि, पुरुषों के लिए पानी की पर्याप्त मात्रा ३ और महिलाओं के लिए २.२ लीटर है।
ऐसा भी कर सकते हैं कि, आपका जितना वजन है उसमें १० से भाग कीजिए और जो अंक आता है उतने लीटर पानी आप १ दिन में अधिकतम पी सकते हैं। उदाहरण-वजन ६० किलो है, तो १ दिन में ६ लीटर पानी पीना चाहिए।
निरंतर पानी पीना सेहत के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन २४ घंटे में कब पानी पीना चाहिए, इस बात की जानकारी रखनी चाहिए।
दरअसल, आधुनिक युग में ज्यादातर लोग पेट संबंधित रोगों से परेशान हैं। खान-पान का सही समय ना होना और भारी तथा जंक फूड से दोस्ती बनाना ये कुछ ऐसे कारण हैं, जिससे पेट संबंधित रोगों को पनपने का मौका मिल जाता है।
कहा जाता है कि यदि पेट को दुरुस्त ना रखा जाए तो १०० से ज्यादा रोग आपके ऊपर हमला कर सकते हैं, इसलिए भोजन के साथ पानी पीते हैं, तो यह पित्त और पेट में अम्ल के आवश्यक स्तर पर असर डाल सकता है। इससे भोजन ठीक प्रकार से हजम नहीं होगा और पेट में विषाक्त तत्व जमा होने शुरु हो जाएंगे। अगर खाना खाने के तुरंत बाद या साथ-साथ पानी पीते हैं, तो यह जहर के समान है। खाने के साथ पानी पीने से भोजन पचता नहीं, बल्कि सड़ता है। अतः, भोजन के ३० से ४० मिनट पहले पानी का सेवन करें। इससे भोजन पचाने वाले तत्व पेट में असरदार तरीके से काम करने लगेंगे। भोजन करने के एक से डेढ़ घंटे बाद पानी पिएं, जिससे भोजन को पचने का समय मिल सके और शरीर को जरूरी पोषण। ऐसे ही पानी जब भी पिएं, घूंट-घूंट पिएं, क्योंकि एकसाथ पीने से मुँह की लार (जिसकी वजह से पेट में अम्ल बनता है, वह पेट में नहीं जा पाएगा) नहीं बनती है।
जब सुबह उठते हैं तो उस समय खाली पेट १-२ गिलास पानी पीना चाहिए। ऐसा करने से शरीर की सारी गंदगी निकल जाती है और सभी अंग सही ढंग से कम करने लगते हैं। जब दिन शुरू होने लगता है तो पानी का अधिक सेवन करना चाहिए, लेकिन शाम का समय हो तो सेवन कम कर देना चाहिए, क्योंकि बार-बार बाथरुम जाना पड़ेगा, जिसके कारण नींद पूरी नहीं होगी। इसी तरह नहाने से पहले पानी का सेवन करते हैं, तो रक्तदाब कम होने में सहायता मिलती है।
गर्भाधान के दिनों में भी महिलाओं को अधिक मात्रा (१० गिलास) में पानी का सेवन करना चाहिए।
इस प्रकार पानी हमारे शरीर संरक्षण के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। शुद्धता से पानी आपके लिए अमृत का काम करता है, अन्यथा हैज़ा, पीलिया जैसे रोग तत्काल होते हैं, इसीलिए हमेशा पानी छानकर और गुनगुना पीना लाभदायक होता है। स्वच्छ पानी सुखकारी और औषधि होता है, जो शुद्ध के साथ संक्रमण रहित होना चाहिए।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।