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हमारी जान घर में है

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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हम तो आए हैं यहाँ,मगर हमारी जान घर में है,
शहर में है जीविका भले,मगर पहचान घर में है
मन में उठीं तरंगें कोटि,मगर उनकी ढ़लान घर में है,
हम तो आए हैं यहाँ,मगर हमारी जान घर में है।

हमारा घर ही है स्वर्ग हमें,क्योंकि अरमान घर में है,
जिस आँगन में खेले-बड़े हुए,उसकी हर मुस्कान घर में है
कार्य क्षेत्र भले ही है अलग-अलग,पर फरमान घर में है,
हम तो आए हैं यहाँ,मगर हमारी जान घर में है।

कहे ‘उमेश’ रहे परदेश,लेकिन अभिमान घर में है,
खान-पान-विचरण है बाहर,पर दिवा रात्रि अवसान घर में है।
तन तमगा लिए भटके दरबदर,पर मन-बगिया का विहान घर में है,
हम तो आए हैं यहाँ,मगर हमारी जान घर में है॥

परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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