कुल पृष्ठ दर्शन : 371

You are currently viewing हर माँ प्रभु की मूरत

हर माँ प्रभु की मूरत

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

*********************************************

माँ अनमोल रिश्ता (मातृ दिवस विशेष) …

हर माँ होती प्रभु की मूरत,
जीवन होता है इक तीरथ।
हर दु:ख सहती निज जीवन के,
रचती नवजीवन की सीरत॥

सब कहते प्रभु के दर्शन ही,
नहिं मिल पाते हैं इस जग में।
पहचानें तो उस माता को,
जिससे आते हैं इस जग में।

प्रभु ने खुद माँ की रचना की,
तब तो हर लीला की जग में।
कौशल्या से प्रभु राम सजे,
देवकी से कृष्णा थे जग में॥

माँ गुणकारी संस्कारों से,
रचना करती संतानों की।
बनना होता संतानों को,
धर्माचारी जग में खुद ही।

कुछ पुण्यात्मा, कुछ व्यभिचारी,
कुछ दानी होते कुछ पापी।
लेकिन माँ तो बस माँ होती,
संतान-दुखों की अभिशापी।

हर माँ होती प्रभु की मूरत,
जीवन होता है इक तीरथ।
हर दु:ख सहती निज जीवन के,
रचती नवजीवन की सीरत॥

परिचयहीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

Leave a Reply