बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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जय श्री कृष्ण (भाग-२)…
मधुर बजाते बाँसुरी, मधुबन में श्री श्याम।
गैया-बछड़े साथ में, गोपी गोप तमाम॥
मोर पंख सिर पर मुकुट, लिए बाँसुरी हाथ।
मंद-मंद मुख पर हँसी, श्यामल दीनानाथ॥
गीता के उपदेश से, जीवन का उद्धार।
भवसागर से कृष्ण ही, करते नैया पार॥
अंतर्मन में वास हो, हे प्रभु दीनानाथ।
तेरे चरणों में सदा, झुका रहे ये माथ॥
माथे पर तिलक सजे, काजल शोभित आँख।
कमर लटकती करधनी, मुकुट मयूरा पाँख॥
मातु यशोदा श्याम को, निरख रही दिन रैन।
फिर भी मन माने नहीं, दर्शन को बेचैन॥
खेलत ललना गोद में, मातु बहुत हरषाय।
मुख में लख ब्रम्हांड को, कोई समझ न आय॥
मुस्काते जब कृष्ण है, तरुवर खिलते फूल।
जीव जन्तु ब्रम्हांड के, होते खुशी समूल॥
ब्रज की पावन भूमि पर, कृष्ण चन्द्र अवतार।
चल करके सद् मार्ग पर, किये जगत उद्धार॥
कृष्ण नाम शुभ नाम है, जपो सुबह अरु शाम।
हर संकट में साथ वो, रहते हैं सुखधाम॥
परिचय- बोधन राम निषादराज की जन्म तारीख १५ फरवरी १९७३ और स्थान खम्हरिया (जिला-बेमेतरा) है। एम.कॉम. तक शिक्षित होकर सम्प्रति से शास. उ.मा.वि. (सिंघनगढ़, छग) में व्याख्याता हैं। आपको स्व.फणीश्वर नाथ रेणू सम्मान (२०१८), सिमगा द्वारा सम्मान पत्र (२०१८), साहित्य तुलसी सम्मान (२०१८), कृति सारस्वत सम्मान (२०१८), हिंदीभाषा डॉट कॉम (म.प्र.) एवं राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान (२०१९) सहित कई सम्मान मिल चुके हैं।
प्रकाशित पुस्तकों के रूप में आपके खाते में हिंदी ग़ज़ल संग्रह ‘यार तेरी क़सम’ (२०१९), ‘मोर छत्तीसगढ़ के माटी’ सहित छत्तीसगढ़ी भजन संग्रह ‘भक्ति के मारग’ ,छत्तीसगढ़ी छंद संग्रह ‘अमृतध्वनि’ (२०२१) एवं छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल संग्रह ‘मया के फूल’ आदि है। वर्तमान में श्री निषादराज का बसेरा जिला-कबीरधाम के सहसपुर लोहारा में है।