बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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भारत की आत्मा ‘हिंदी’ व हमारी दिनचर्या….
रचना शिल्प:मात्रा भार १६/१३/
हिन्द देश के हैं हम वासी,
हिंदी मेरी जान है।
तन-मन सब-कुछ वार दिया है,
इस पर जां कुर्बान है॥
नमः मातरम् नमः मातरम्,
धरती का यह राग है।
भारतवासी बेटे हैं हम,
सबकी यही जुबान है॥
हिन्द देश के हैं हम…
अंग्रेजी पढ़ लेना तुम सब,
बनना मत अंग्रेज रे।
देश द्रोह मत करना साथी,
हिन्द हमारी शान है॥
हिन्द देश के हैं हम…
राष्ट्र प्रेम हित और जहां की,
अच्छी बनो मिसाल सब।
आज दिखा दो जग को साथी,
हिंदी हिंदुस्तान है॥
हिन्द देश के हैं हम,…
भारत बहु भाषा-भाषी है,
फिर भी हम सब एक हैं।
जाति-पाँति भी भिन्न-भिन्न हैं,
भाषा हिंद महान है॥
हिन्द देश के हैं हम…॥