सौ. निशा बुधे झा ‘निशामन’
जयपुर (राजस्थान)
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भक्ति, संस्कृति, और समृद्धि का प्रतीक ‘हिंदी’ (हिंदी दिवस विशेष)….
सबसे पहले बोल शब्द ‘माँ’,
‘माँ ‘मातृभूमि, मातृभाषा है महान।
माँ की ममता और दुलार,
लाता नव जीवन उपहार।
इसका उपहास न देखूँगा,
जीवन भर इसका रहूंगा।
‘हिन्दी’ न कोई एक दिवस,
हर पल रहे दिल, मस्तिष्क, अंतर्मन।
देश-दुनिया में सबसे खास,
हर भारतीय के दिलों में बसती जैसे ‘साँस’।
वक्त बदल रहा है जरूर,
हिन्दी भाषा का न मूल बदलने दूँगा।
आन-बान-शान है हिन्दी,
संस्कृति और संस्कारों की धरोहर है हिन्दी।
हिन्दुस्तान और हिन्दी का संगम स्थल है भारत,
मेरी मातृभाषा और पहचान है ‘हिन्दी’।
शुभ दिवस हैं खास,
सब करते हैं अभिनंदन इसका आज।
गौरवान्वित होता भारत वर्ष,
जण-जण, गण के मण में करती है ये राज॥