कुल पृष्ठ दर्शन : 214

You are currently viewing है मन बावरा

है मन बावरा

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

क्या शांति गीत
है मन बावरा
भीतर मीत…।

पँख झुलसे
प्रीत पाखी व्याकुल
बंधे भू रीत…।

सुदूर नभ
दृग छोर तलक
रेतीला टिश…।

लू जैसे स्वाँस
वाह्य दग्ध वायु
ढूँढते शीत…।

शिथिल काया
अहर्निश अनल
बुझता दीप…।

पल्लव दल
नैन रक्त पुष्प के
होते पतित…।

नेह मेघ आ
अनिमेष दृष्टि में
तृष्णा प्रतीत…।

स्मृति कुम्भ में
रक्षित गंगाजल
एक अतीत…॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

Leave a Reply