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जरूरत-एक सच्चे साथी की

डोली शाह
हैलाकंदी (असम)
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संध्या काल यूँ ही सोशल मीडिया देख रही थी, तब तक मेरी नजर दोस्तों की सूची पर पड़ी। बहुत के अनुरोध-आवेदन थे, कुछ रिश्तेदार तो कुछ यूँ ही, मगर एक इंसान जो दक्षिण भारत से था, ना चाहते हुए भी मेरी उंगलियों ने उनकी दोस्ती को स्वीकार कर लिया।
अब दोनों में प्रतिदिन वार्ताएं भी होने लगी। कल्पना की दुनिया में दोनों ही प्यार की मोटी चादर ओढ़ चुके थे। उनके बीच आत्मीयता और अपनत्व का ऐसा बीज आ गया था, जिससे सात फेरों के रिश्ते भी फीके पड़ने लगे।
अक्षरा को लिखने का बचपन से ही बड़ा शौक था, लेकिन परिस्थितियों के आगे मानो वो अपना अस्तित्व ही खो चुकी थी, लेकिन आज भी जब अक्षरा नवीन से बातें करती तो वह अपना उत्तर स्वरचित पंक्तियों में ही देती। यह देख नवीन बड़ा प्रसन्न और आकर्षित होता।
एक दिन नवीन ने अक्षरा को एक पत्रिका का पता देते हुए कहा-“तुम इतना अच्छी लिखती हो, अब तक तो तुम्हारी पंक्तियों को सिर्फ मैं ही पढ़ता था, लेकिन अब तुम अपनी रचना पूरी कर इस पते पर भेजो, जिससे औरों को भी तुम्हारे विचारों को समझने का मौका मिलेगा।”
अक्षरा बोली-“क्या ऐसा हो सकता है ! कोई मेरी रचना भला क्यों पढ़ेगा ?”
‘अक्षरा तुम भेज कर तो देखो, यदि सम्पादक महोदय अभी तुम्हारी रचना न भी प्रकाशित करें तो भी तुम्हें सही राह जरूर दिखाएंगे।” नवीन हर दिन उसे प्रोत्साहित करता, जिससे अक्षरा के अंदर भी कुछ अलग कर गुजरने की चाह जग गई। वह भी दिलो-जान से नवीन के मकसद को पूरा करने में लग गई। नवीन की बातों ने अक्षरा की मन रुपी बंजर भूमि पर तुलसी का एक पौधा लगा दिया। नवीन के विश्वास ने अक्षरा की मायूसी भरी जिंदगी को एक नई पहचान के लिए अग्रसर किया। मिलने की वो तड़प केवल एक-दूसरे को देख कर ही हर खुशी का अनुभव करते।
देखते ही देखते अक्षरा साहित्य जगत के उस मुकाम पर आ गई, जहां उसे देश की हर काव्य गोष्ठी में निमंत्रण आने लगा। अक्षरा भी अब मानो उसे मन ही मन देवता की तरह पूजने लगी। घंटों दोनों एक-दूसरे की यादों में खोए रहते। एक दिन अक्षरा अकेले में बैठ अपने-आपसे बातें करते हुए सोच रही थी कि सचमुच हर चीज के २ पहलू होते हैं-एक अच्छा और एक बुरा। सोशल मीडिया को जहां एक तरफ बुरी नजरों से देखा जाता है, वहीं उसमें कुछ इंसानों के रूप में देवता भी हैं। जिस तरह मुझे नवीन जैसा दोस्त मिला, उसी तरह हर इंसान की सफलता के पीछे एक सच्चे साथी की जरूरत होती है, जिससे वह नि:संकोच अपने दिल की हर बात कह सके। वह साथ मर्द-औरत का, भाई-बहन का या किसी का भी हो सकता है। सचमुच एक अच्छा दोस्त मिल जाए तो, जिंदगी में खुशियों की लहर आने से कोई नहीं रोक सकता…।

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