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ख़ुशी चाहिए तो सुख सूत्र अपनाइए

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’
सोलन(हिमाचल प्रदेश)
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यदि हम चाहते हैं कि, हमारी जिंदगी हँसी-खुशी एवं आराम से कटे तो निम्न बातों का अनुसरण करें-
🔹भगवान हमें जिस हाल में रखें, उसका शुकराना करना सीखें। शुकराना करने से कष्ट भी हँसते-हँसते कट जाते हैं।
🔹यदि जिंदगी में सफल होना चाहते हों तो, जिंदगी का उद्देश्य जरूर निर्धारित करो और उसको पूरा करने
का प्रयास प्रारम्भ कर दो।
🔹वक्त सब कुछ सिखा देता है, अर्थात वक्त से बड़ा कोई अध्यापक नहीं है। जिंदगी में कभी भी किसी से कोई
आशा न रखो। यदि हम किसी से कोई आशा रखते हैं और अगर वह पूरी नहीं होती है तो हमें बहुत दु:ख होता है।
🔹जिंदगी में सुखी रहने का सरल उपाय है-इच्छाएं कम रखना।
🔹सबसे अच्छा व्यवहार रखें, क्योंकि अच्छे व्यवहार से पराए भी अपने हो जाते हैं।
🔹समय का सदुपयोग करें। आप चाहें तो, अपना समय सपने देखने में व्यतीत कर सकते हैं या सुबह जल्दी उठकर उस सपने को साकार
करने में लग सकते हैं।
🔹किसी भी समस्या से ना घबराएं, न चिंता करें, बल्कि उसका समाधान खोजें, क्योंकि चिंता हमें चिता की ओर ले जाती है।
🔹दूसरों को खुश देखकर खुद भी खुशी महसूस करें।
🔹सत्संग केवल सुनना ही नहीं चाहिए, बल्कि उसकी बातों का अनुसरण भी करना चाहिए।
🔹जिसने परिस्थितियों के हिसाब से जीना सीख लिया, समझ लो उसने जिंदगी को जीत लिया।
🔹मनुष्य को अपना स्वभाव पानी की तरह रखना चाहिए।पानी को हम जिस बर्तन में डालते हैं, वो वैसा ही आकार ग्रहण कर लेता है।
🔹कमाई इतनी ही करें कि, आप कमाए हुए धन का सदुपयोग कर सकें, तथा घर, परिवार व समाज का ध्यान रख सकें।
🔹ज़िंदगी हमें जीना नहीं है, अपितु जिंदगी के हर पल का आनंद लेना है।
🔹धन उतना ही खर्च करें, जितना अपनी जेब सलाह दे।कर्ज लेकर काम न करें।

परिचय-डॉ. प्रताप मोहन का लेखन जगत में ‘भारतीय’ नाम है। १५ जून १९६२ को कटनी (म.प्र.)में अवतरित हुए डॉ. मोहन का वर्तमान में जिला सोलन स्थित चक्का रोड, बद्दी(हि.प्र.)में बसेरा है। आपका स्थाई पता स्थाई पता हिमाचल प्रदेश ही है। सिंधी,हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले डॉ. मोहन ने बीएससी सहित आर.एम.पी.,एन. डी.,बी.ई.एम.एस.,एम.ए.,एल.एल.बी.,सी. एच.आर.,सी.ए.एफ.ई. तथा एम.पी.ए. की शिक्षा भी प्राप्त की है। कार्य क्षेत्र में दवा व्यवसायी ‘भारतीय’ सामाजिक गतिविधि में सिंधी भाषा-आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का प्रचार करने सहित थैलेसीमिया बीमारी के प्रति समाज में जागृति फैलाते हैं। इनकी लेखन विधा-क्षणिका,व्यंग्य लेख एवं ग़ज़ल है। कई राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन जारी है। ‘उजाले की ओर’ व्यंग्य संग्रह)प्रकाशित है। आपको राजस्थान द्वारा ‘काव्य कलपज्ञ’,उ.प्र. द्वारा ‘हिन्दी भूषण श्री’ की उपाधि एवं हि.प्र. से ‘सुमेधा श्री २०१९’ सम्मान दिया गया है। विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अध्यक्ष(सिंधुडी संस्था)होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-साहित्य का सृजन करना है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद एवं प्रेरणापुंज-प्रो. सत्यनारायण अग्रवाल हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी को राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिले,हमें ऐसा प्रयास करना चाहिए। नई पीढ़ी को हम हिंदी भाषा का ज्ञान दें, ताकि हिंदी भाषा का समुचित विकास हो सके।”