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श्रमसीकर ही नींव

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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श्रमसीकर नित पूज्य हों,पायें अति सम्मान।
श्रम से ही धनधान्य है,श्रम से ही उत्थान॥

श्रम से ही ऊँचे भवन,श्रम से ही है कोष।
श्रमजीवी भूखा अगर,बोलो किसका दोष॥

श्रम से सारे खेत हैं,श्रम से ही उद्योग।
श्रम से ही आता सदा,उच्च अर्थ का योग॥

श्रम से ही हैंं पटरियाँ,सड़कें,नहरें,यान।
रेलें,कारें और ट्रक,राष्ट्रप्रगति का मान॥

श्रम दिखता खलिहान में,बन रक्षा-आधार।
स्वेद बहे नियमित जहां,बनकर के रसधार॥

श्रमसीकर ही नींव हैं,जिनसे बनता देश।
श्रमसीकर ही नित हरें,सतत् वतन का क्लेश॥

श्रमसीकर पायें सदा,श्रम का पूरा मोल।
लोकतंत्र में लोकहित,के भीतर है पोल॥

श्रमिक दिवस इक चेतना,एक प्रखर आवाज़।
बिना श्रमिक के है नहीं,किंचित सुर अरु साज़॥

श्रमिक दिवस इक गान है,है यश का सामान।
आओ हम ‘मजदूर’ का,करें ह्रृदय से मान॥

सारी दुनिया में मने,मजदूरों का पर्व।
जिस पर हम सब मिल करें,नित ही बेहद गर्व॥

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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