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परमवीर चक्र विजेताओं को याद किया १५१ कवियों ने

मंडला(मप्र)।

काव्यकुल संस्थान द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय परमवीर चक्र काव्योत्सव में भारत, अमेरिका,तंजानिया,रूस,जापान (संयुक्त अरब अमीरात),कतर आदि देशों के १५१ रचनाकारों ने देश के २१ परमवीर चक्र विजेताओं पर अपनी रचनाओं का वाचन किया। इतने कवियों का एकसाथ काव्य पाठ का विश्व रिकॉर्ड भी बनाया गया।
संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कार्यक्रम संयोजक डॉ. राजीव पाण्डेय ने बताया कि,मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल वी. के. चतुर्वेदी और सेवानिवृत्त कर्नल कौशल चतुर्वेदी विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे।
मुख्य अतिथि श्री चतुर्वेदी ने कहा हिन्दी के काव्य सर्जकों द्वारा किया गया यह पुनीत कार्य सेना के मनोबल को बढ़ाने वाला है। सेना के शौर्य पराक्रम त्याग बलिदान को स्मरण कर एक नई परम्परा को जन्म दिया हम सब आभारी हैं।
१५१ कवियों को ६ भागों में विभक्त कर गूगल मीट पर यह आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रभारी सुप्रसिद्ध गीतकार ओंकार त्रिपाठी दिल्ली रहे। समन्वय का दायित्व मध्यप्रदेश के प्रतिष्ठित कवि-लेखक प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे(मण्डला,म.प्र) को सौंपा गया,जिन्होंने परमवीर चक्र विजेता जोगेन्दर सिंह पर अपना शानदार गीत पढ़कर प्रशंसा अर्जित की। उन्होंने ‘वीरों की हम कथा सुनाते,नित हीअभिनंदन करते। जय जय जयगान गुँजाते,नित ही अभिवंदन करते’ पढ़ा। कवियित्री डॉ.नीलम खरे(मंडला)ने परमवीर विजेता एलबर्ट एक्का पर बेहतरीन गीत पेश किया। डॉ. पाण्डेय ने बताया कि,सोमदत्त शर्मा सोम,डॉ. रजनी शर्मा चन्दा,डॉ. ब्रजेन्द्र नारायण द्विवेदी,शैलेश,अनुपमा पाण्डेय,डॉ. शैलबाला अग्रवाल,कुसुमलता पुंडोरा एवं डॉ. हरिदत्त गौतम आदि ने सभी समूहों की अध्यक्षता और संचालन का दायित्व संभाला। डॉ. पाण्डेय ने रचना पढ़ी-‘वीर साहसी पौरुष की ये,अद्भुत अनुपम गाथा है। उसी पराक्रम के कारण ही,माँ का ऊँचा माथा है।’
कार्यक्रम के प्रभारी देश के वरिष्ठ नवगीतकार ओंकार त्रिपाठी ने योगेंद्र सिंह यादव की वीरता पर पंक्तियाँ पढ़ी।
अयोध्या से डॉ. हरिनाथ मिश्र ने वीर अब्दुल हमीद की गाथा का गायन किया। शरद सक्सेना जौहरी ने अपनी कविता में कैप्टन मनोज पाण्डेय का गुणगान किया। वरिष्ठ कवि शंकरलाल जांगिड़ ‘दादाजी’ ने पीरू सिंह शेखावत के साहस को याद किया।कर्नाटक के बंगलुरू से डॉ. मलिकप्पा अलियास महेश ने योगेंद्र सिंह यादव की वीरता को पढ़ा। केलिफोर्निया से डॉ. नीलू गुप्ता विद्यालंकार ने अपने परम वीरों के बलिदान को रेखांकित किया। अमेरिका से डॉ. मीरा सिंह,श्वेता सिंह एवं जापान आदि देशों सहित भारत के कुल १५१ रचनाकारों की प्रस्तुतियां सुनकर श्रोता भाव-विभोर हो गए। अध्यक्ष डॉ. पाण्डेय ने सभी का आभार प्रकट किया।

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