लालचन्द्र यादव
आम्बेडकर नगर(उत्तर प्रदेश)
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भोले भंडारी आ जाओ,
प्रभु नौका पार लगा जाओ।
प्रभु लोभ,मोह,मद,माया को,
दो,ज्ञान सुधा इस काया को
प्रभु हम से दूर भगा जाओl
प्रभु नौका पार लगा जाओll
जो विषम भाव मेरे मन हो,
हों विलग,तो पावन,तन-मन हो।
उसमें समरसता भर जाओ।
प्रभु नौका पार लगा जाओll
हर पल मन में सदभाव रहे,
मन में न कभी अलगाव रहे।
प्रभु तांडव नाच,नचा जाओ,
अरि को औकात बता जाओ।
प्रभु नौका पार लगा जाओll
परिचय-लालचन्द्र यादव का साहित्यिक उपनाम-चन्दन है। जन्म तारीख ५ अगस्त १९८४ और जन्म स्थान-ग्राम-शाहपुर है। फिलहाल उत्तरप्रदेश के फरीदपुर बरेली में रहते हैं, जबकि स्थाई पता जिला आम्बेडकर नगर है। कार्य क्षेत्र-शिक्षक(बरेली)का है। इनकी लेखन विधा-गीत,गजल,मुक्त कविता आदि है। रचना प्रकाशन विविध पत्र-पत्रिकाओं में हुआ है। लेखनी का उद्देश्य-समाज को दिशा देना है। आपके प्रेरणा पुंज-गुरु शायर अनवर जलालपुरी हैं। एम.ए. (हिंदी) बी.एड. शिक्षित श्री यादव को हिन्दी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। रुचि-कविता लेखन,गीत गाना है।