ध्येय मार्ग पर चलते जाएँ,
हिम्मत कभी न हारें।
दूरी कितनी भी लंबी हो,
आगे बढ़ते जाएँll
लक्ष्य प्राप्ति के लिए निरंतर,
पथ-पथ कदम बढ़ायें।
अपने साथ औरों को भी,
सतमार्ग पे चलना सिखायेंll
कर्म पर करके भरोसा,
आत्मनिर्भरता दिखायें।
मंजिल पाने का प्रयास,
नित-नित करते जायेंll
साहस से मिलती है ताकत,
मन में आस जगायें।
हार न मानें मुश्किल क्षणों में,
हिम्मत हम दिखलायेंll
साथ खड़ा न मिले कोई,
फिर भी न घबरायें।
अपने बुलंद इरादों से,
शिखर को छू जायेंll
परिचय-श्रीमति मनोरमा चन्द्रा का जन्म स्थान खुड़बेना (सारंगढ़),जिला रायगढ़ (छग) तथा तारीख २५ मई १९८५ है। वर्तमान में रायपुर स्थित कैपिटल सिटी (फेस-2) सड्डू में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-जैजैपुर (बाराद्वार),जिला जांजगीर चाम्पा (छग) है। छत्तीसगढ़ राज्य की श्रीमती चंद्रा ने एम.ए.(हिंदी) सहित एम.फिल.(हिंदी व्यंग्य साहित्य), सेट (हिंदी)सी.जी.(व्यापमं)की शिक्षा हासिल की है। वर्तमान में पी-एचडी. की शोधार्थी(हिंदी व्यंग्य साहित्य) हैं। गृहिणी व साहित्य लेखन ही इनका कार्यक्षेत्र है। लेखन विधा-कहानी,कविता,हाइकु,लेख (हिंदी,छत्तीसगढ़ी)और निबन्ध है। विविध रचनाओं का प्रकाशन कई प्रतिष्ठित दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में छत्तीसगढ़ सहित अन्य क्षेत्रों में हुआ है। आप ब्लॉग पर भी अपनी बात रखती हैं। इनके अनुसार विशेष उपलब्धि-विभिन्न साहित्यिक राष्ट्रीय संगोष्ठियों में भागीदारी व शोध-पत्र प्रस्तुति,राष्ट्रीय-अंतर्राष्
ट्रीय पत्रिकाओं में १३ शोध-पत्र प्रकाशन व साहित्यिक समूहों में लगातार साहित्यिक लेखन है। मनोरमा जी की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा को लोगों तक पहुँचाना व साहित्य का विकास करना है।