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अखबार में लपेटा खाद्य पदार्थ जहर से कम नहीं

अशोक कुमार सेन ‘कुमार’
पाली(राजस्थान)
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भारत के लोग किसी चीज़ का इतना दुरुपयोग करते हैं कि वास्तव में कई बार वह चीज़ जिस उद्देश्य के लिए बनी,वह तिरोहित हो जाता है। मसलन अखबार पढ़ने के लिए होता है,पर उससे ज्यादा यह खाने-पीने की चीज़ों को परोसने और पैकिंग में काम आता है। फिर चाहे मुम्बई की खाऊ गली में बड़ा पाव हो,जोधपुर में मिर्ची बड़े हो,इंदौर की जलेबी-पोहे,या कलकत्ता का एग रोल।
आम भारतीय को सोच होती है कि,ज्यादा तेल अखबार सोख लेगा।फिर उसी अखबार को टिशू पेपर की तरह इस्तेमाल करके हाथ-मुँह पोंछ लेते हैंl कार्यालय या यात्रा के लिए खाना अखबार में पैक कर लेते हैं,और तो और शादी-ब्याह में हलवाई पुड़िया और मिठाई भी अखबार बिछा कर जमा करते हैं।
दुर्भाग्य से आमधारणा बन चुकी है कि अखबार पवित्र होते हैं, जबकि उनकी स्याही (इंक) मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक होती है। यह कई प्रकार के कैंसर की कारक होती है। अखबार में पाए जाने वाले खतरनाक रसायनों में शीशा,एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन,बेंजीडैने,४ एमिनो बायोफिनायल जैसे जहरीले अवयव बहुलता से पाए जाते हैं।
अखबारों की प्रेस में काम करने वालों पर एक अध्ययन में इस तथ्य की पुष्टि हुई है कि,उन कर्मचारियों में फेफड़े और मूत्राशय के कैंसर के मरीज ज्यादा मिले,पर बड़े-बड़े रसूखदार घरानों के अखबार होने के कारण मजदूरों की आवाज दब जाती है। या यूँ कहें कि जिन पर उनकी आवाज उठाने का जिम्मा है,वही खामोश हैं। जगजीत सिंह की ग़ज़ल का वो शेर याद आ जाता है-“मेरा मुंसिफ ही मेरा कातिल हैl”
दुर्भाग्य से इस बारे में कोई बात नहीं करता है। दिया तले अंधेरा है। खैर,सब लोग अपना ध्यान रखें और जितना हो सके अखबार की स्याही खाने से बचिए,वर्ना अखबार में खाद्य पदार्थ में मिला हुआ या अवयव हमारे लिए जहर से कम नहीं होगाl

परिचय-अशोक कुमार सेन का उपनाम ‘कुमार’ है। जन्म तारीख ३ मई १९८२ तथा जन्म स्थान-निमाज (जिला-पाली)है। वर्तमान में स्थाई पता निमाज (पाली)ही है। हिन्दी,अंग्रेजी व राजस्थानी भाषा की जानकारी रखने वाले श्री सेन की शिक्षा- स्नातकोत्तर है। आपका कार्यक्षेत्र-राजकीय कर्मचारी(नौकरी) का है। इनकी लेखन विधा-लेख और कहानी है। कुमार ब्लॉग पर भी लिखते हैं। लेखनी का उद्देश्य-लेखनी से मानव कल्याण एवं राष्ट्रहित के मुद्दे उठाना है। श्री सेन के लिए प्रेरणा पुंज-डॉ.अब्दुल कलाम हैं। विशेषज्ञता-समसामयिक आलेखन है।

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