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कोयल की कुहूक

विजय कुमार
मणिकपुर(बिहार)

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कोयल कुहूक-कुहूक कर बोली
मोर पपीहा मेरे भाई,
बंदर भालू ने दौड़ लगाई
आपस में सब भाई-भाई।

शेर-शेरनी ने ब्याह रचाया
पंडित जी को घर पे बुलाया,
हलुआ पूरी सेंवई बनाई
जंगल में वो खूब लुटाया।

हिरण मोर संग रास रचाया
गजानंद को खूब खिलाया,
तोते ने आवाज लगाई
पिंजरे खोल,मुक्त हो गये भाई।

गदहा घोड़ा बैंड भी आया
दूल्हे को कंधे पे बैठाया,
राजा,रानी मिल गई भाई
जंगल में वो धूम मचाई।

कोयल कुहूक-कुहूक कर बोली
मोर पपीहा मेरे भाई,
बंदर भालू ने दौड़ लगाई
आपस में सब भाई-भाईll

परिचय-विजय कुमार का बसेरा बिहार के ग्राम-मणिकपुर जिला-दरभंगा में है।जन्म तारीख २ फरवरी १९८९ एवं जन्म स्थान- मणिकपुर है। स्नातकोत्तर (इतिहास)तक शिक्षित हैं। इनका कार्यक्षेत्र अध्यापन (शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में समाजसेवा से जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता एवं कहानी है। हिंदी,अंग्रेजी और मैथिली भाषा जानने वाले विजय कुमार की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक समस्याओं को उजागर करना एवं जागरूकता लाना है। इनके पसंदीदा लेखक-रामधारीसिंह ‘दिनकर’ हैं। प्रेरणा पुंज-खुद की मजबूरी है। रूचि-पठन एवं पाठन में है।

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