बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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मानसून अब आ गिरो,मत कर अत्याचार।
धरती देखो है फटी,कृपा करो इस बारll
व्याकुल होते लोग हैं,जीव जन्तु बेहाल।
गर्मी इतनी तेज है,धीमी सबकी चालll
इन्द्रदेव नाराज क्यों,आओ बरसो आज।
करते हैं आराधना,विनय सुनो महाराजll
देख गरीब किसान हैं,करें प्रतीक्षा लोग।
मानसून अब तो सुनो,हो जाये संजोगll
नदी झील सूखी पड़े,बंजर खेती खार।
बरस पड़ो अब तो सुनो,मत करना इंकारll