वीना सक्सेना
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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बच्चे स्कूल से आ चुके थे,उन्हें खिला-पिला कर तैयार कर नीचे खेलने के लिए भेज दिया पल्लवी ने। ४ बज चुके थे,इस समय तक पल्लवी थोड़ी अलसाई हुई हो जाती थी,इसलिए उसने अपने लिए एक कप चाय बनाई और बालकनी में आकर खड़ी हो गई। दूर-दूर तक फैली हुई हरियाली को देखने के बाद जब उसकी नज़र अपनी सोसाइटी के पार्क पर पड़ी तो उसने नीचे पड़ी बेंच पर देखाl वहां चार-पांच बड़ी उम्र की महिलाएं बैठी हुई गप-शप कर रही थी। एक-दो महिलाएं जब भी बात करती तो इधर-उधर बहुत देखतीl बात करते समय चौकन्नी भी रहती,यदि बच्चों की बॉल भी अगर उनके पास आ जाती तो वह एकदम चौंक जाती। पल्लवी ने सोचा कि,ऐसी क्या बात कर रही हैं,जिसके लिए उन्हें इतना चौकन्ना रहना पड़ रहा है। इतने में उसकी मेड आ गई तो उसने पूछा-“सप्पू बाई,ये लोग क्या बात करती हैं।”
“अरे कछु नाही मेडम,अपनी-अपनी बहुअन की चुगली करे है,और का..l”
“अच्छी बात है।”
मन ही मन पल्लवी को हँसी आ गई,और सोचने लगी,तभी इतनी चौकन्नी रहती है बात करते समय..l अब उसे भी मजा आने लगा था। वह ध्यान से उन्हें देखने लगी,तो उसने पाया कुछ आंटी बात करना शुरू करने के पहले इधर-उधर बहुत ध्यान से देखकर अपनी बात शुरू करती थी कि,कहीं उनका पोता-पोती तो नहीं खेल रहा आसपास।
पल्लवी ने कहीं पढ़ा था कि,विदेश में एक ऐसी जगह होती है,जहां बॉस,पत्नी,दोस्त, रिश्तेदार या जिनसे भी परेशान व्यक्ति हो,वो उसको गालियां देकर बुराइयां करके अपनी भड़ास निकालता है,और इसके बाद वह तनाव मुक्त हो जाता हैl उसे लगा यह भी अच्छा तरीका है अपनी तीन-चार सहेलियों में अपनी भड़ास निकाल लो,और तनावमुक्त होकर घर जाओ।
“वाह तो यह इनकी भड़ास बेंच है। फिर तो बहुत जरूरी है,हा…हा…हा…हा…l”
परिचय : श्रीमती वीना सक्सेना की पहचान इंदौर से मध्यप्रदेश तक में लेखिका और समाजसेविका की है।जन्मतिथि-२३ अक्टूबर एवं जन्म स्थान-सिकंदराराऊ (उत्तरप्रदेश)है। वर्तमान में इंदौर में ही रहती हैं। आप प्रदेश के अलावा अन्य प्रान्तों में भी २० से अधिक वर्ष से समाजसेवा में सक्रिय हैं। मन के भावों को कलम से अभिव्यक्ति देने में माहिर श्रीमती सक्सेना को कैदी महिलाओं औऱ फुटपाथी बच्चों को संस्कार शिक्षा देने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। आपने कई पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है।आपकी रचनाएं अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुक़ी हैं। आप अच्छी साहित्यकार के साथ ही विश्वविद्यालय स्तर पर टेनिस टूर्नामेंट में चैम्पियन भी रही हैं। `कायस्थ गौरव` और `कायस्थ प्रतिभा` सम्मान से विशेष रूप से अंलकृत श्रीमती सक्सेना के कार्यक्रम आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर भी प्रसारित हुए हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में अनेक लेख प्रकाशित हो चुके हैंl आपका कार्यक्षेत्र-समाजसेवा है तथा सामजिक गतिविधि के तहत महिला समाज की कई इकाइयों में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैंl उत्कृष्ट मंच संचालक होने के साथ ही बीएसएनएल, महिला उत्पीड़न समिति की सदस्य भी हैंl आपकी लेखन विधा खास तौर से लघुकथा हैl आपकी लेखनी का उद्देश्य-मन के भावों को अभिव्यक्ति देना हैl