सुबोध कुमार शर्मा
शेरकोट(उत्तराखण्ड)
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जीवन है सबका संगीत,
बनाओ सबको अपना मीत।
बचपन कितना सुंदर होता,
कल्मष कभी न मन में बोता।
हर क्रीड़ा लगती है मानो,
बन रहा कोई नया संगीत॥
जीवन है…
जीवन को परमार्थ लगाओ,
नैराश्य न मन में कभी लाओ।
ईश चरण में ध्यान लगाकर,
गाओ जीवन में मधुरिम गीत॥
जीवन है…
चाहे जितनी बाधा आये,
आकर कितना मुझे डराये।
अडिग रहूँगा कर्म पथ पर,
न होऊंगा किंचित भयभीत॥
जीवन है…
आज परस्पर ईर्ष्या रहती,
स्वर्णिम जीवन पल को दहति।
द्वेष भाव परित्याग करो अब,
हो जीवन में सबसे सच्ची प्रीत॥
जीवन है…
कर्म सदा निस्वार्थ करो तुम,
बाधाओं से नहीं डरो तुम।
सदा आगे ही बढ़ते रहना,
निश्चित होगी तेरी जीत॥
जीवन है…
पर दुखों को सदा ही बाँटो,
दुःख की खाई को तुम पाटो।
तेरे दुःख मिटेंगे खुद ही,
होगी सम्मुख टीस विनीत॥
जीवन है…
परिचय – सुबोध कुमार शर्मा का साहित्यिक उपनाम-सुबोध है। शेरकोट बिजनौर में १ जनवरी १९५४ में जन्मे हैं। वर्तमान और स्थाई निवास शेरकोटी गदरपुर ऊधमसिंह नगर उत्तराखण्ड है। आपकी शिक्षा एम.ए.(हिंदी-अँग्रेजी)है। महाविद्यालय में बतौर अँग्रेजी प्रवक्ता आपका कार्यक्षेत्र है। आप साहित्यिक गतिविधि के अन्तर्गत कुछ साहित्यिक संस्थाओं के संरक्षक हैं,साथ ही काव्य गोष्ठी व कवि सम्मेलन कराते हैं। इनकी लेखन विधा गीत एवं ग़ज़ल है। आपको काव्य प्रतिभा सम्मान व अन्य मिले हैं। श्री शर्मा के लेखन का उद्देश्य-साहित्यिक अभिरुचि है। आपके लिए प्रेरणा पुंज पूज्य पिताश्री हैं।