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सबका साथ ही दिलाएगा ‘कोरोना’ से मुक्ति

संध्या चतुर्वेदी ‘काव्य संध्या’
अहमदाबाद(गुजरात) 
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कोरोना एक विषाणु से फैलने वाली भयंकर बीमारी है। मूलतः सुरक्षा और बचाव से पहले इस के मूल रूप को समझ लेना आवश्यक है। कोविड-१९ विषाणु से होने वाला संक्रमण है,जो नाक या मुँह से गले में प्रेवश कर के फेफड़ों तक पहुँच जाता है और ऑक्सीजन रोक देता है,तब व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। संक्रमण इतना तेज होता है कि अगर सही समय पर ध्यान नहीं दिया जाए तो ७ से १४ दिन में ही व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। यह ऐसी बीमारी है,जो थूकने और छींकने से फैलती है।
आज सांसारिक महामारी के रूप में भारत में इसने पैर पसार लिए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुरुआत में ही रोकने के लिए सार्थक प्रयास किए और संपूर्ण भारत में तालाबंदी की,ताकि लोग एक-दूसरे के सम्पर्क में नहीं आएं,लेकिन इसके वावजूद आज भारत विश्व में चौथे क्रम पर आ गया है। आज भारत के महानगर मुंबई,दिल्ली और अहमदाबाद सबसे ज्यादा प्रभावित नगरों में से हैं।
इससे बचने की सुरक्षा एवं उपाय यही है कि, हाथों की सफाई का विशेष ध्यान दें औऱ
किसी भी वस्तु को धो कर फिर उपयोग में लें। ऐसे ही जब भी घर से बाहर निकलें तो मुँह पट्टी बांधकर औऱ हाथों में दस्ताने पहनें।
याद रखें कि,विषाणु नाक या मुँह से साँस के माध्यम से ही शरीर में प्रवेश कर सकता है।
इसको नष्ट करने के लिए शरीर की प्रतिरोध क शक्ति बढ़ानी है तो व्यायाम और योग करें, तनाव से बचने के लिए प्राणायाम करें। रात को हल्दी का दूध एवं सुबह गर्म पानी पिएं। अब कैसे लड़ें इससे,तो सामाजिक दूरी के समय परिवार और दोस्तों से दूरी न बनाएं। सभी एक-दूसरे को अवसाद में जानें से रोंके और सकारात्मक बातें करें। याद रहे कि जीवन बहुमूल्य है,हानि और लाभ पर ध्यान न दें।
हम सबका साथ ही देश को इस विषाणु से मुक्त करा सकता है। ५ महीने में न्यूजीलैंड ने खुद को कोरोना मुक्त घोषित कर दिया तो
आप और हम भी इस भयंकर महामारी से निजात पा सकते हैं। खुश रहिए और स्वस्थ
रहिए।

परिचय : संध्या चतुर्वेदी का साहित्यिक नाम काव्य संध्या है। आपने बी.ए. की पढ़ाई की है। कार्यक्षेत्र में व्यवसाय (बीमा सलाहकार)करती हैं। २४ अगस्त १९८० को मथुरा में जन्मीं संध्या चतुर्वेदी का स्थाई निवास मथुरा(उत्तर प्रदेश)में है। फिलहाल अहमदाबादस्थित बोपल (गुजरात)में बसी हुई हैं। कई अखबारों में आपकी रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। लेखन ही आपका शौक है। लेखन विधा-कविता, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहा, धनाक्षरी, कह मुकरिया,तांका,लघु कथा और पसंदीदा विषय पर स्वतंत्र लेखन है। संध्या जी की लेखनी का उद्देश्य समाज के लिए जागरुक भूमिका निभाना है। आपको लेखन के लिए कुछ सम्मान भी मिल चुके हैं|