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अब धरती पर आ जाओ

संध्या चतुर्वेदी ‘काव्य संध्या’
अहमदाबाद(गुजरात) 
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आ जाओ अब कृष्ण कन्हाई,
फिर धरती पर आ जाओ।
तुम्हें बुलाती ब्रज की नारी,
अब धरती पर आ जाओ।

हुई है बोझल पृथ्वी सारी,
सहते-सहते अत्याचार।
बढ़ रही है पाप की दुनिया,
नित होता कन्याओं से व्यभिचार।

आ जाओ अब कृष्णा मेरे,
ले चक्र सुदर्शन हाथों में।
दण्डित कर दो इन दानव को,
जो बहन,बेटियों को छूते हैं।

फिर तैयार करो पाण्डू सेना को,
जो गांडीव उठा सके।
अपनों के भी खिलाफ,
पाप की बलि चढ़ा सके।

नहीं होगी फिर कोई द्रौपदी,
भरी सभा में अपमानित।
कौरव नहीं होंगे,पांडव पर भारी,
खुशहाल होने की अब गरीबों की बारी।

चारों तरफ फिर से होगी हरियाली,
गायों को फिर से पूजा जाएगा।
फिर हर बच्चा माखन-मिश्री खाएगा,
दूध-दही की बहेंगी नदियां
धन्य-धन्य ब्रज गाँव हो जाएगा॥

परिचय : संध्या चतुर्वेदी का साहित्यिक नाम काव्य संध्या है। आपने बी.ए. की पढ़ाई की है। कार्यक्षेत्र में व्यवसाय (बीमा सलाहकार)करती हैं। २४ अगस्त १९८० को मथुरा में जन्मीं संध्या चतुर्वेदी का स्थाई निवास मथुरा(उत्तर प्रदेश)में है। फिलहाल अहमदाबादस्थित बोपल (गुजरात)में बसी हुई हैं। कई अखबारों में आपकी रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। लेखन ही आपका शौक है। लेखन विधा-कविता, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहा, धनाक्षरी, कह मुकरिया,तांका,लघु कथा और पसंदीदा विषय पर स्वतंत्र लेखन है। संध्या जी की लेखनी का उद्देश्य समाज के लिए जागरुक भूमिका निभाना है। आपको लेखन के लिए कुछ सम्मान भी मिल चुके हैं|

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