कुल पृष्ठ दर्शन : 336

अपनी बहना को न भुलाना तुम

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
*************************************************

रक्षाबंधन पर्व विशेष………..

कच्चे धागों का
पक्का बन्धन,
पर्व है ये
रक्षाबंधन।
बांधी है,
भाई की
कलाई पे,
बहना ने
प्यार और,
विश्वास की
मज़बूत डोर।
अंतर्मन की
गहराइयों से,
निकलती हैं
लाख दुआएं,
युग-युग जिए
मेरा प्यारा बीर।
एक ही
आँगन में तो,
खेले हैं हम-तुम
पर मैं पाखी,
उड़ जाऊंगी।
नहीं भूलूंगी
कभी भी,
राखी का
ये पावन दिन।
आऊंगी ज़रुर
निभाने ये रिश्ता,
पर कभी जो
न आ सकूं मैं तो,
तुम चले आना।
कभी भी
ऐसा न हो कि,
सूनी रहे
कलाई भाई की और,
बहना बहाए नीर।
रहूं कहीं मैं
मेरे भैय्या,
ये प्रीत की रीत
निभाना तुम।
सावन महीने की
राखी पूनम को,
अपनी बहना को
न भुलाना तुम॥

परिचय-श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।