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राखी

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’
कोटा(राजस्थान)
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रक्षाबंधन पर्व विशेष………..

मन के निश्छल प्रेम का,राखी पावन पर्व।
भारतीय संस्कार पर,करे विश्व भी गर्व॥

कहती हमसे राखियाँ,नहीं प्रेम सम द्रव्य।
सम्बन्धों की झाँकियाँ,दिखती इनमें भव्य॥

राखी पर आई बहिन,एक साल के बाद।
बाँध कलाई पर गई,ढेरों आशीर्वाद॥

भाई-बहनों का रहा,जो स्वाभाविक प्यार।
प्रकट उसी को कर रहा,राखी का त्यौहार॥

चाहे राखी का रहा,कच्चा कोमल सूत।
गाँठ नेह की बाँधता,पर कितनी मजबूत॥

प्यार और विश्वास का,राखी है त्यौहार।
कहती यह कर्त्तव्य है,सम्बन्धों का सार॥

बहिनें औरों की लगे,अपनी बहिन समान।
रक्षाबंधन पर्व का,है तब ही सम्मान॥

परिचय-सुरेश चन्द्र का लेखन में नाम `सर्वहारा` हैl जन्म २२ फरवरी १९६१ में उदयपुर(राजस्थान)में हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए.(संस्कृत एवं हिन्दी)हैl प्रकाशित कृतियों में-नागफनी,मन फिर हुआ उदास,मिट्टी से कटे लोग सहित पत्ता भर छाँव और पतझर के प्रतिबिम्ब(सभी काव्य संकलन)आदि ११ हैं। ऐसे ही-बाल गीत सुधा,बाल गीत पीयूष तथा बाल गीत सुमन आदि ७ बाल कविता संग्रह भी हैंl आप रेलवे से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त अनुभाग अधिकारी होकर स्वतंत्र लेखन में हैं। आपका बसेरा कोटा(राजस्थान)में हैl

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