कर्म बड़ा या भाग्य!
तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ******************************************* कर्म के बिना,न कभी भाग्यउदय हुआ,न भाग्य भरोसेकभी किसी से,कोई कर्म हुआ।जो भाग्य के भरोसे,हाथ पर हाथ धरेबैठ रहे,भाग्य उनकेहाथों से,फ़िसल गया।भाग्य भी,उन्हीं कासाथ देता है,जो कर्म…