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शत-शत नमन करूँ

निशा गुप्ता 
देहरादून (उत्तराखंड)

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नन्हीं-सी मैं,नन्हा मेरा मन,
आँगन में उड़ता रहता था
जीवन में बस खेलकूद ही,
सुंदर सरल जीवन रहता था।

खेत निराले हरे-भरे थे,
श्री गंगा नगर में गाँव बड़े थे
रहते थे हम तामकोट में,
जहाँ पिताश्री देते शिक्षा थे।

सन् आया उन्नीस सौ इकहत्तर,
पिता जी ने कुछ बोला डर कर
हम तो बिल्कुल हैं बॉर्डर पर,
जाना पड़े न कहीं छोड़ कर।

समझ नहीं मुझको तब आया,
डर था मन में एक समाया
छूट जाए ना सँगी-साथी,
तब हमने एक लक्ष्य बनाया।

चलो चलें हम सब मिलकर,
मार भगाएं इस दुश्मन को
करी इकट्ठी अपनी सेना,
करने लगे युद्ध अभ्यास हम।

रोज अन्धेरा हो जाता था,
दीया नहीं घर जल पाता था
हम दुबके रहते थे घर में,
नन्हा मन तब घबराता था।

घड़-घड़ विमान जब उड़ता,
मुझको सदा भला ही लगता
मन ही मन मैं सोचा करती,
क्यों हर कोई इससे अब डरता।

क्यों सब घेरे रहते रेडियो,
नन्हा मन उलझन में रहता
कभी होते खुश,क्यों कभी हैं रोते,
नहीं समझ तब मुझको आता।

मिली सफलता सेना को जब,
सोलह दिसम्बर ही था दिन तब
झूम रहे थे सब मिल-जुल कर,
मैं भी नाच रही थी उन सँग।

विजय दिवस उल्हासित मन था,
किया पाक का टुकड़ा अलग था
सेना ने शौर्य अपना दिखाया,
तिरानवे हजार को बंदी बनाया था।

नाक रगड़ी फिर पाकिस्तान ने,
करवाया आत्मसमर्पण नियाजी ने
बंगलादेश का जन्म हुआ फिर,
शौर्य दिखाया शक्ति वाहिनी ने।

पाकिस्तान का मुँह पिटा था,
ये अब मेरी समझ में आया
नमन तुम्हें है अमर जवानों,
तुमने देश का मान बढ़ाया।

शत-शत नमन करूँ,शीश झुका कर,
मातृभूमि पर मिटने वालोंl
मैं भी कुछ अच्छा कर जाऊं,
मातृभूमि का मान बढ़ाऊंll

परिचयनिशा गुप्ता की जन्मतिथि १३ जुलाई १९६२ तथा जन्म स्थान मुज़फ्फरनगर है। आपका निवास देहरादून में विष्णु रोड पर है। उत्तराखंड राज्य की निशा जी ने अकार्बनिक रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर किया है। कार्यक्षेत्र में गृह स्वामिनी होकर भी आप सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत श्रवण बाधित संस्था की प्रांतीय महिला प्रमुख हैं,तो महिला सभा सहित अन्य संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। आप विषय विशेषज्ञ के तौर पर शालाओं में नशा मुक्ति पर भी कार्य करती हैं। लेखन विधा में कविता लिखती हैं पर मानना है कि,जो मनोभाव मेरे मन में आए,वही उकेरे जाने चाहिए। निशा जी की कविताएं, लेख,और कहानी(सामयिक विषयों पर स्थानीय सहित प्रदेश के अखबारों में भी छपी हैं। प्राप्त सम्मान की बात करें तो श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान,विश्व हिंदी रचनाकार मंच, आदि हैं। कवि सम्मेलनों में राष्ट्रीय कवियों के साथ कविता पाठ भी कर चुकी हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य- मनोभावों को सूत्र में पिरोकर सबको जागरुक करना, हिंदी के उत्कृष्ट महानुभावों से कुछ सीखना और भाषा को प्रचारित करना है।