बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
******************************************
सुन लो हे गोपाल अब,विनती बारम्बार।
भवसागर नैया फँसी,आज लगाना पार॥
मनमोहन हे साँवरे,कृपा सिंधु भगवान।
आये तेरे द्वार पर,दीन-हीन इंसान॥
मोर पंख मस्तक मुकुट,वैजन्ती गल माल।
पीताम्बर काँधा धरे,मुख मुरली गोपाल॥
दधि माखन मुख पर लगे,दौड़े आँगन द्वार।
बाल रूप मनमोहना,मोहित सब संसार॥
झुला रही है पालना,माता यशुमति श्याम।
साथ रोहिणी की तनय,झूल रहा बलराम॥
सुनो कन्हैया साँवरे,बंशीधर गोपाल।
तड़प रही है राधिका,बहुत बुरा है हाल॥
ओढ़ चुनरिया राधिका,ले गगरी को हाथ।
जमुना तट की राह पे,चली श्याम के साथ॥
मातु यशोदा रोहिणी,हर्षित आठोंयाम।
पुत्र श्याम बलरामजी,धन्य भूमि ब्रजधाम॥
मधुर-मधुर मुस्कान से,मोहे सब संसार।
नटखट मोहन साँवरे,कृपा करो इकबार॥
तुम जीवन आधार हो,कण-कण में है वास।
सभी चराचर जीव हैं,करते तुम पर आस॥