डॉ.मधु आंधीवाल
अलीगढ़(उत्तर प्रदेश)
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इस आपदा ने मन-मस्तिष्क तोड़ कर रख दिया। पहले कभी ना देखा,ना सुना कि,तालाबंदी क्या बला है। कर्फ्यू तो बहुत देखा,कुछ शहरों में आए- दिन दंगे होते रहते थे। शायद कर्फ्यू में तो ऐसा डर नहीं था। लोग पुलिस से डर कर गलियों में से छुपते-छुपाते मित्रों के घर ताश की टोली जमा लेते थे।
अब तो सब तरफ भय का माहौल। लोग परेशान, सब कुछ बंध गया। देखो शायद धीरे-धीरे सरकार कुछ राहत दे। अरे आज शायद २ घन्टे की छूट दी जाए,देखो क्या-क्या खुलता है। सरकार ने कहा है दो गज दूरी,मास्क जरूरी। सब नगर वधू परेशान, घर में खाने तक के लाले। मरे ये दल्ले भी बस चौखट पर बैठे ऊंघ रहे हैं। अब तक ग्राहक लाते थे, कमीशन से गला तर कर लेते थे।
ब्रेकिंग न्यूज-कल सरकार ने २ घन्टे के लिए दारू की दुकानों को कोविड नियमों का पालन करते हुए खोलने की इजाजत दी। अरे वाह,लोगों में प्रसन्नता की लहर जाग गई,जैसे कारू का खजाना मिल गया हो।
अब सुबह का आलम देखिए,दारू की दुकानों पर लम्बी लाइन लग गई। कोरोना नियमों की धज्जियां उड़ गई। अचानक शोर मचा…अरे लेडीज लाइन अलग होनी चाहिए। इन पुरुषों मे जरा लिहाज नहीं महिलाओं को तो कहीं आगे नहीं देख सकते। मुड़ कर देखा तो कुछ महिलाएं आधुनिक वेषभूषा में चीख रही थी-‘हद कर दी,सरकार को दोष क्यों दो ? सबका ख्याल रखती है’ और कुछ बोतलें लेकर बड़बड़ाती चली गई। लोग सोचते रहे..जीने के लिए सबसे आवश्यक पेय है…शायद कोरोना इसी से चला जाए,इसीलिए सरकार ने निर्णय लिया होगा।