ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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रक्षाबंधन विशेष….
प्रीत की रीत है रक्षाबंधन,
मिलकर करो अभिनन्दन
भाई-बहन के अनुराग का,
फूट रहा मर्मस्पर्शी स्पंदन।
सारे जग में सबसे सच्चा,
स्नेह स्वरुप धागे का बंधन
भाई की खुशी की खातिर,
बहना करती ईश वन्दन।
कलाई पर रेशम का धागा,
सिर पर चमक रहा चन्दन
जज्बातों का गहरा सावन,
उमड़ रहा है प्रेम प्रबंधन।
राखी है विश्वास का गहना,
रक्षा करें ज्यों देवकी नन्दन
भाई भी अपना फर्ज निभाए,
न हो जीवन में कोई क्रन्दन।
नहीं सिर्फ एक रस्म है राखी,
ये है रिश्तों का एक गठबंधन।
संस्कृति है मानव मूल्यों की,
शीश झुकाए ज्यों रघुनंदन॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।