बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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जीवन की बगिया को यारों,
रखना हरदम हरियाली।
फूल खिलेंगे रंग-बिरंगे,
आएगी फिर खुशहाली॥
प्रेम प्यार से इसे सींचना,
कभी न मुरझाने पाये।
पतझड़ का मौसम आये भी,
ये बहार बनकर छाये॥
गुलशन महके भौंरा गाये,
कोयल कुहके मतवाली।
जीवन की बगिया को यारों…॥
चमन बने घर अपना सारा,
रहे महकता मधुबन हो।
पंछी चहके घर-आँगन में,
हर्षित अपना तन-मन हो॥
रिश्तों में सम्बन्ध समेटे,
ऐसा हो घर का माली।
जीवन की बगिया को यारों…॥
जलें प्रेम के दीया-बाती,
स्वर्ग जमीं पर आएँगे।
खुशियाँ झूमेंगी कदमो में,
घर मन्दिर बन जाएँगे॥
हर मुख पर मुस्कान लिए हो,
भरी रहे सुख की थाली।
जीवन की बगिया को यारों…॥