प्रो. महावीर सरन जैन
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भारत २२ परिगणित भाषाओं का देश है, मगर हिन्दी की एकतरफा बोधगम्य उपषाओं पर अध्यारोपित व्यवहारिक हिन्दी के माध्यम से भारत के नागरिक संवाद करते हैं।
चीन भी बहुभाषिक देश है। यहाँ गान, मगँग, मिनाम, फुथेमो, मिरबई, वू, केन्टेनीज़ यबए, थूज़ा, तिब्बती, चीनी आदि अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं, मगर मंदारिन की आंशिक बोधगम्य उपभाषाषाओं पर आधारित मंदारिन के माध्यम से चीन के नागरिक संवाद करते हैं। एथनेलोक या विकीपीडिया जब भारतीय भाषाओं की विवेचना करते हैं तो भेदात्मक दृष्टि अपनाते हैं, मगर व्यवहारिक हिन्दी के समय मौन धारण कर लेते हैं
(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई)