ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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हाय!
दिल की धड़कन,
बढ़ने लगी है
प्रिय की कमी,
अब खलने लगी है।
कैसे होगा,
जीवन का गुजारा
तन्हाई भी,
मचलने लगी है।
यादों के सहारे,
अब जी न सकूंगा
हाय! विरह वेदना,
बढ़ने लगी है।
एक सिक्के के,
दो पहलू हैं हम
तन्हा तन्हा उम्र,
गुजरने लगी है।
बुझ न सकेगी,
विरह की अग्नि
मन की तृष्णा,
भटकने लगी है।
कैसे धीर,
धरे ये अखियाँ।
आँगन निहार,
अब दुखने लगी है॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।