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शब्द-शब्द का फेर

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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शब्द-शब्द का फेर है,
शब्द सुरीली वाणी
एक शब्द देता गाली,
एक शब्द गुरुवाणी।

शब्दों से भजन बना,
शब्द ही बनाए गीत
एक शब्द शत्रु बनाए,
और एक बनाए मीत।

शब्दों से ही प्रीत बनी,
शब्द ही बहाए नीर
एक शब्द हल्का करे,
और एक करे गम्भीर।

शब्द ही भाव जगाए,
शब्द में सबका सीर,
एक शब्द डर कराए,
और एक धराए धीर।

शब्द-शब्द का खेल है,
शब्द बड़ा अनमोल।
बुरा किसी को लगे नहीं,
सोच-समझ कर बोल॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।